फिल्में, समाज का आईना होती हैं।
आपने विवाह मूवी देखी थी कि नहीं, आज उसे सच होता हुआ भी देखिये👇 💕💚
UP प्रतापगढ़ के कुंडा इलाके की रहने वाली आरती मौर्य की शादी नजदीक के ही गांव के अवधेश से तय हुई थी | 8 दिसंबर को बारात आनी थी | दोनों ही घरों में शहनाइयां बज रही थीं | परिवार के सदस्य और दूसरे मेहमान तैयार हो रहे थे, तभी दोपहर 1.00 बजे के करीब एक छोटे बच्चे को बचाने के चक्कर में दुल्हन आरती का पैर फिसल गया और वह छत से नीचे गिर गई | उसकी रीढ़ की हड्डी पूरी तरह टूट गई | कमर और पैर समेत शरीर के दूसरे हिस्सों में भी चोट आई |
डॉक्टरों ने जब यह बताया कि फिलहाल वह अपंग हो गई है और कई महीने तक बिस्तर से नहीं हिल सकती तो सभी के होश उड़ गए | आरती के घर वाले और दूसरे लोगों को लगा कि लड़के वाले अब शादी तोड़ देंगे, क्योंकि इलाज के बावजूद उसके पूरी तरह ठीक होने की उम्मीद भी थोड़ी कम थी | परिवार वालों ने दूल्हे अवधेश और उसके घर वालों को दुल्हन आरती की छोटी बहन से शादी का ऑफर दिया, लेकिन उस वक्त दूल्हे अवधेश ने
जो फैसला लिया, उसकी उम्मीद किसी को नहीं थी | किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि साधारण से परिवार का सामान्य सा नज़र आने वाला अवधेश जो कदम उठाएगा, वह उनकी सोच से परे होगा | अवधेश ने कहा कि वह इस हालत में भी न सिर्फ आरती को पत्नी के तौर पर अपनाएगा, बल्कि शादी भी उसी दिन तय वक़्त पर करेगा |
इसके बाद वह ऑक्सीजन सपोर्ट सिस्टम के स
हारे इलाज करा रही आरती की मांग भरना चाहता था | अवधेश की जिद पर डाक्टरों की टीम से परमीशन लेकर आरती को दो घंटे बाद एम्बुलेंस से वापस घर लाया गया | उसे स्ट्रेचर पर लिटाकर शादी की रस्में अदा की गईं | ऑक्सीजन और ड्रिप लगी होने की सूरत में ही उसकी मांग भरी गई | आम दुल्हनों की तरह आरती की भी विदाई हुई | यह अलग बात है कि ससुराल जाने के बजाय वह वापस अस्पताल लाई गई | अगले दिन होने वाले ऑपरेशन के फॉर्म पर खुद अवधेश ने पति के तौर पर दस्तखत किए,
अवधेश के विचारों को नमन 🌹 भगवान से प्रार्थना करते हैं कि अवधेश जी की पत्नी अति शीघ्र स्वस्थ और आनंदमय हो जाए 🙏🙏🏻
हम सबकी दुआएँ आपके साथ हैं।
दुल्हन के साथ एक्सीडेंट होना और दूल्हे का फिर भी साथ खड़े होना ये बेहद हिम्मत और अटूट प्रेम की निशानी है।
ये घटना पुरानी है। दिसम्बर 2020 की घटना है।
लेकिन काफ़ी इंस्पायरिंग स्टोरी है। इस नफ़रत, लालच और मौकापरस्त दुनिया में अगर प्यार का कोई एक जुगुनू भी दिखाई पड़े तो हमें उससे रौशनी लेने भरपूर कोशिश करनी चाहिए। उम्मीद करता हूँ कि “ एक वादे पर उम्र गुज़ार देने की बात ,, महज़ एक बात नहीं होती है। ये सच भी हो सकता इसका जीता जागता उदाहरण है।
मैं ये नहीं कहता कि आपको ये करना चाहिए वो करना चाहिए... बस ये कहना चाहता हूँ कि जहाँ तक हो सके सच बोलिये, साथ रहने के वादे से न मुकरिये, अपनों का सहयोग करिये, परिवार का ख़्याल रखिये और रिश्तों के प्रति ईमानदार रहिये बस।
ये ख़बर पुरानी है, मैं इसे ज़रूर डिलीट कर देता लेकिन ये हिम्मत और प्रेम की मिसाल है.. किसी हीर-राँझा, किसी लैला-मजनूँ की कहानी से कम नहीं।
एक शे'र इस मुहब्बत के नाम...
“ तुझको दुनिया कह डाला हूँ
अब और बता कितना चाहूँ ,,
~ अश्विनी यादव