कुल पेज दृश्य

शुक्रवार, 2 अक्टूबर 2020

ग़ज़ल ( political)

आज तुम्हारी हरक़त पर मैं थूक रहा
या'नी समझो आदत पर मैं थूक रहा

तुझ मक्कार पे दुनिया सारी थूकी थी
ओ झूठे तिरी फ़ितरत पर मैं थूक रहा

अँधियारे में ज़बरन चीज़ जली कोई
हद है ऐसी उजलत पर मैं थूक रहा

चीख़ें, मातम, आँसू, लाठी, बेचैनी
ज़ुल्मी तेरी चाहत पर मैं थूक रहा

सर कुचलोगे तो क्या चुप हो जाऊँ मैं
हिटलर तेरी बरक़त पर मैं थूक रहा

      ~ अश्विनी यादव