भारत भूषण पंत का जन्म 3 जून 1958 को हुआ था। उनकी जिंदगी का लंबा हिस्सा बल्कि यूं कहें कि पूरी जिंदगी ही लखनऊ में बीती। उनकी जिंदगी भी दर्द से भरी हुई थी, जब वे बड़े हो रहे थे तो उन्हीं दिनों उन्होंने अपने पिता को बीमारी से जूझते हुए मौत का सफ़र तय करने का हादसा देखा। पिताजी तो चल बसे लेकिन उसके बाद ऐसा लगता रहा कि भारत भूषण पंत कहीं तिल तिल कर अपनी जिंदगी को ख़त्म करते रहे।
बाद में उनकी पत्नी उनका सहारा बनीं लेकिन उन्हें भी कैंसर हो गया और 2014 में वे भी इस दुनिया से विदा हो गयीं। पत्नी के देहांत के बाद पंत जी बिल्कुल अकेले रह गए।काॅपरेटिव की नौकरी से स्वैच्छिक सेवनिवृत्ति उन्होंने पहले ही ले ली थी। उनकी जिंदगी अकेलेपन का शिकार हो गयी।
और बीमारी के कारण 11 नवम्बर 2019 को विवेकानंद हॉस्पिटल, लखनऊ में अंतिम साँस ली।
दबिस्तान ए लखनऊ की फेहरिस्त में अगर आज़ादी के बाद शायरों को देखें तो भारत भूषण पंत का नाम बड़ी संजीदगी से लिया जाता है। ख़ास बात ये है कि बात यह है कि मुनव्वर राना,ख़ुशबीर शाद और पंत साहब इत्तेफ़ाक से तीनों ही वाली आसी साहब के शागिर्द थे। मुनव्वर साहब ख़ुद भी मानते हैं कि उनके उस्ताद भाइयों में पंत जी से बढ़िया शेर कोई नहीं कहता था।
दो दिनों की ज़िन्दगानी कुफ्र क्या इस्लाम क्या
एक दिन काबे में सजदा, बुत-परस्ती एक दिन
पंत साहब को बेचेहरगी से इस हद तक लगाव था कि उनकी मजमुआ इसी नाम से साये हुआ था । 'तन्हाइयाँ कहती हैं', 'यूँ ही चुपचाप गुज़र जा (1995), और 'कोशिश' (1988) ज़रिए उनके कलाम से वाबस्ता हुआ जा सकता है। उनके उस्ताद भाई मुनव्वर राणा का यह बयान ज़ेरे गौर है कि " भारत भूषण ने अपनी शायरी को हमेशा सिसकियों की छत्रछाया में रखा है, किसी भी लफ्ज़ को चीख नहीं बनने दिया। अपनी हर ग़ज़ल में वो अपने दुखों से खेलते दिखाई देते हैं "
दरअसल पंत जी शायरी में बहुत सी चीज़ें मिलेंगी जैसे ज़बान की मिठास, फ़िक्र का लबादा, नए मौज़ूआत, तख़लीकी अमल, नए नए इस्तिआरे, ग़ालिब और मीर के अलावा जिगर मुरादाबादी, शकेब जलाली, सलीम अहमद की मक़बूल ज़मीनों पर ग़ज़ल कहने का हुनर से लेकर और भी बहुत सारी बातें।
किताबें :- 1 बेचेहरगी
2 तन्हाईयाँ कहती हैं
3 कुछ मज़ामी ग़ैब से ( पब्लिश होने वाली है )
भारत भूषण पंत ने फिल्मी दुनिया को भी अपनी कलम से नवाज़ा है। पूजा भट्ट की फिल्म "धोखा" के लिए उन्होने अपने उस्ताद भाई खुशबीर सिंह शाद के साथ मिलकर गीत लिखे हैं तो मशहूर गायिका कविता सेठ के प्राइवेट अल्बम के लिए भी गीत लिखे हैं। आने वाले दिनों में हमें उनके गीतों से सजी कुछ और फिल्में देखने को मिल सकती हैं.
आपने बहुत सारे नाटकों के लिए भी गीत लिखे हैं।
उर्दू शाइरी के लिए सुप्रसिद्ध बेवसाइट rekhta पर भी उन्हें पढ़ा जा सकता है, [1]
https://www.rekhta.org/poets/bharat-bhushan-pant/all?lang=hi
शाइरी की एक और प्रसिद्ध बेवसाइट कविताकोश पर भी पढ़ सकते हैं, [2]
http://kavitakosh.org/kk/%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A4%AD%E0%A5%82%E0%A4%B7%E0%A4%A3_%E0%A4%AA%E0%A4%82%E0%A4%A4
खबरों में भारत भूषण पन्त
[3]