मेरे लाख मना करने पर
रख लेती है व्रत तू अक्सर
उफ़्फ़ ये तेरे जैसे पागल
प्यार मुझे कितना करते हैं
तू बात मेरी भी माना कर
अपनी सेहत को देखा कर
लेकिन तुझको ये जँचता है
जो जँचता है सब अच्छा है
तू ख़ुश है तो मैं भी ख़ुश हूँ
चौथ मना ग़र यार ख़ुशी है
~ अश्विनी यादव
हमें प्रयास करते रहना चाहिए ज्ञान और प्रेम बाँटने का, जिससे एक सभ्य समाज का निर्माण किया जा सके।
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रविवार, 24 अक्टूबर 2021
नज़्म ~ करवाचौथ
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