आइये ब्राह्मण/पण्डित पर बात कर लेते हैं।
सबसे पहली बात मुझे जातिगत किसी से कभी भी दिक़्क़त नहीं हुई है और न ही जाति के कारण प्रेम बरसाया हूँ कभी। और हाँ अगर पोस्ट पूरी पढ़ेंगें तभी कमेंट में ज्ञान/राय देने आइयेगा नहीं तो ज़रूरत नहीं किसी की।
अब आते हैं मुद्दे पर, मैं किसी से जातिगत कारणों से भेदभाव नहीं कर सकता और न ही समर्थन। जो भी व्यक्ति मेरे पास में होता है वो मेरा होकर रहता है न कि मेरे नाम मेरी जाति या मेरी किसी भी प्रभावशाली चीज़ के चक्कर में हो। लोग मेरे क़िरदार को पसन्द करें बस ये ज़रूरी है साथ देने के लिये। अब दिक़्क़त ये है कि तमाम लोगों में से मुझे मेरी जाति के कुछ यार दोस्त बेहद पसंद करते हैं तो बदले में उनका हक़ है कि मैं भी उन्हें उनसे ज़्यादा पसन्द करूँ... वो लड़के मुझे अपना बड़ा भाई मानते हैं तो ज़ाहिर है कि वो मेरे लिए मेरे अपने ही हैं।
जब इंजीनियरिंग कर रहा था तो मेरे रूम में मैं पिछड़ी जाति का और एक पण्डित जी सामान्य वर्ग से और एक दलित समाज का भाई... हम तीनों साथ रहते थे। हम तीनों ने कभी ये महसूस ही नहीं किया कि जाति भी होती है कुछ आपस में। आज भी हम तीनों बराबर के दोस्त हैं। हम तीनों को पार्टी अलग पसन्द थीं, हम तीनों के नेता अलग थे, हम तीनों सोशल मीडिया पर भी अलग ही लिखा करते थे लेकिन हम तीनों में कुछ चीज़ कॉमन थी इंसानियत, साथ और प्रेम। इसलिए कह रहा हूँ न मुझे आज तक इन दोनों से कोई धोखा मिला है न ही कोई ऐसी बात हुई है कि मैं परेशान होऊं जातिगत। बचपन से ही मेरे साथ लगभग हर जाति के लोग पढ़ाई किये हैं।
हाँ लेकिन तमाम ब्राह्मण और पिछड़ी जातियों के लोग मिले हैं जो धोखा दे चुके हैं। अब दिक़्क़त इस बात की है कि धोखा देने वाले को जाति से नहीं बल्कि उसकी फितरत से पहचाना जाए।
अभी चंद दिनों पहले ही मेररी ही जाति के मेरे ही एक दोस्त ने अपनी 1 लाख+ फॉलोअर्स वाली id को एक मेरी ही जाति के लड़के से साझा किया। हमने उससे कहा कि भाई इससे भी ट्वीट कर दिया करो और आपके फॉलोअर्स कम हैं तो बढ़ जाएंगें धीरे धीरे। अब उसकी नज़र id चोरी करने पर थी, एक दिन उसने id का पासवर्ड से लेकर सब कुछ बदल दिया फिर डिएक्टिवेट कर दिया। साथ ही मेरे अकाउंट से लेकर मेरे जानने वाले हर एक को ब्लॉक कर दिया ताकि कोई सर्च न कर पाए। हम सब उससे बोले भी तो उसने साफ कह दिया कि भाई आप मेरी id ले लीजिए चाहे तो लेकिन ये मत कहिये मैंने चोरी किया है। बड़ा इनोशेन्ट बन रहा था.. खूब सारा नौटंकी किया... पर मैं उससे रिक्वेस्ट कर रहा था कि भाई दे दो क्या फ़ायदा ये सब आपस में करने का। चूँकि मेरे कहने पर उसको id मिली थी इसलिए मैं रिक्वेस्ट कर रहा था कि भाई वापस कर दो...
ख़ैर जाने दिया, उसने वापस नहीं किया... मैंने सारा कुछ भगवान पर छोड़ दिया और बोल दिया कि जो है सब राधे की मर्ज़ी है।
एक रात को हम और हमारा दोस्त बातें कर रहे थे कि भाई कल सुबह मैं उस आदमी पर केस करने वाला हूँ और यक़ीन करिये मैंने दो जगह पर थाना इंचार्ज से बात कर रखी थी कि कल इसकी वाट लगा देंगें। 15 दिन तक हम पता करते रहे फिर ये उसी केस की बात वाली रात को 3 बजे उसने id ओपन की तब जाकर हमने ट्विटर/X को ईमेल किया सब लिखकर, फिर वहाँ से ज़रूरी चीज़ें पूछी गईं और हमने सब प्रोवाइड करवा दिया... सुबह 6 बजे तक id वापस मिल गयी हमें। अब उस यादव दोस्त को न तो id मिली और न ही कुछ मिला।
यहाँ जाति की बात नहीं है बात मक्कारी और खानदान की परवरिश का है। इसलिये जाति की बात नहीं है।
अब आते हैं ब्राह्मण और दलित साथियों पर तो ऐसे कई दोस्त मिले जो मौक़ापरस्ती में सबसे आगे रहे हैं, उन्हें अपने काम को बस निकालने से मतलब होता था। और सच कहूँ तो तमाम लोगों ने अपना उल्लू सीधा किया... लेकिन मैं फिर कह रहा हूँ बात परवरिश की है।
कई दोस्त आज भी ऐसे हैं जो जान लगा देंगे मेरे एक बार पुकारने पर ही। ये लोग जाति से भिन्न हैं पर प्रेम इतना अटूट है कि गर्व होता है मुझे। इसलिए जाति ज़रूरी नहीं है इंसान का इंसान होना ज़रूरी है।
मैं आरक्षण समर्थक हूँ, मेरे तमाम सवर्ण मित्र भी आरक्षण समर्थक हैं, और तमाम विरोध में... मैं आंबेडकर साहब से लेकर मैं लालू जी और मुलायम जी को मसीहा मानता हूँ, और मेरे कुछ लोग इन्हें पसन्द कम करते हैं तो क्या हुआ आख़िर।
सबकी अपनी सोच है सबको हक़ है। और रही बात ब्राह्मणों द्वारा शोषण किये जाने की तो यक़ीन मानिये जो भी जब भी जहाँ मज़बूत रहा है सबने शोषण किया है। इसलिये ब्राह्मणों पर आक्षेप लगाने से पहले हमें अपने भी दामन की तरफ़ देखना चाहिए।
अब ये मत कहना फ़लाने ने ये पोस्ट किया और आपने वो.. सबकी मर्ज़ी है अपनी।
राधे -राधे।
~ अश्विनी यादव