"सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा बहुत बार सुना हमने..लेकिन घाटी में ही इंसानियत के , देश के , मजहब के दो रंगो में देखा हमने...
कुछ पंक्तियाँ...
--------------------------------
लाख सूर्य अस्त हो जाये तो
हम चिराग जलाते रहेंगे,
अपने घर के दरवाजे पे
हिदुस्तानी लिखवाते रहेंगे,
सीख दी औलादो को यही
पत्थर, हांथो में उठाना नही,
केसर की क्यारी है हमारी
इस पर सवाल उठाना नही,
क्या मियां क्या हिन्दू भाई
सौहार्द बनाये रखना तुम,
सेना सलामी तिरंगा कहानी
लाल न कभी बिसरना तुम,
हिन्दू, हिंदी, हिन्द धरा की
माने-अलख जलाना तुम,
कभी दहशतगर्दी में पड़कर
'आतंकी' न बन जाना तुम,
हम सभी है वतन के सिपाही
सरहदे धूमिल होने न देंगे,
बुरहान, अफजल भले थे हमारे
अब कोई जाकिर होने न देंगें....!
© अश्विनी यादव
हमें प्रयास करते रहना चाहिए ज्ञान और प्रेम बाँटने का, जिससे एक सभ्य समाज का निर्माण किया जा सके।
कुल पेज दृश्य
बुधवार, 13 जुलाई 2016
इन्सान जिन्दा है
सदस्यता लें
संदेश (Atom)