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सोमवार, 11 अक्टूबर 2021

कविता ~ धरने पर हैं राम हमारे

कैसा कलयुग आ गया भैया
अब अंधियारा छा गया भैया


पहली बार हुआ है ऐसे
कलयुग ही छाया हो जैसे

दुर्दिन क्यों आए हैं दुआरे

हैं धरने पर क्यों राम हमारे
सब पूछो ये हक़ है हमारा
राम नहीं तो कौन सहारा
जिनके ख़ातिर वोट दिए थे
जिनके नाम पर नोट दिए थे
वो ही अब अँधियारे में हैं
देखो किसके सहारे में हैं
यूँ मज़बूर करे क्यूँ प्यारे
हैं धरने पर क्यूँ राम हमारे

   ~ अश्विनी यादव