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गुरुवार, 7 अक्टूबर 2021

नज़्म ~ तुम्हें ये हक़ दिया किसने


तुम्हें ये हक़ दिया किसने
किसी को मार देने का
घरौंदे तोड़ देने का
तुम्हें ये हक़ दिया किसने

बनाकर लाश उनको
कर रहे ज़ुल्म-ओ-सितम
निशाँ कोई नहीं बाक़ी
है उनकी बेगुनाही का
उन्हें बर्बाद करने का
तुम्हें ये हक़ दिया किसने

किसी की लाश पर चढ़कर
पैरों से कुचलने का
किसी हैवान के जैसे
शज़र वीरान करने का
तुम्हें ये हक़ दिया किसने


  ~ अश्विनी यादव

ज़िन्दगी को बढ़ते रहने का नज़रिया दीजिये


"हमेशा टूटने का मतलब ख़त्म होना नहीं होता 

कभी-कभी टूटने से जिंदगी की शुरुआत होती है,,


इन दोनों पंक्तियों को मैंने ट्विटर पर पढ़ा साथ ही ये तस्वीर भी संलग्न थी, पहले तो बस पढ़ा देखा पोस्ट अच्छी लगी....चूँकि जान पहचान वाले मित्र की थी इसलिए रीट्वीट करके बढ़ चला... लेकिन ये बात एक दिन के बाद तक याद रही मुझे और अब इसका एक छोटा सा निष्कर्ष मिला है मुझे।


"टूटिये लेकिन फिर से बनना और उठ खड़े होना...फिर से बिखर सकने के क़ाबिल हो जाने की हिम्मत ले आना, ये आप पर निर्भर करता है। एक ही तो ज़िन्दगी है और इसमें भी थोड़ा बहुत परेशानियाँ न आईं तो फिर आप लज़्ज़त-ए-ग़म से चूक जाएँगें। 


मुझे मेरा एक शे'र याद आ गया....


रंज-ओ-ग़म सारे भुला रहा हूँ,

मैं दुबारा ख़ुद को बना रहा हूँ,


हाँ ये सच है कि सब भुला कर आगे बढ़ने की तमन्ना आपके ख़ुद के ऊपर निर्भर करती है। यदि आप चाहते हैं कि भुलाकर आगे बढ़ा जाए नई जिंदगी की शुरुआत की जाए तो यक़ीन मानिए ये दुनिया ये प्रकृति इतना बड़ा दिल रखती है कि आपको फिर से एक मौका दे देगी। बिखरने में भी ज़िन्दगी खोजिए यारों...


        ~ अश्विनी यादव