हमे तडपता छोड़ गये तुम वादा था आओगे,
मुझ अधूरे को पूरा करने का वचन निभाओगे,
रुदन करूं क्या नयन सूख गये प्रियतम मेरे,
राह तकूँ की बस तुम आओगे गले लगाओगे,
गोपियों ने छोड़ी दी पर मेरी तब आस छूटेगी,
जब आखें बंद होगी और आखिरी साँस टूटेगी,
सारे जहाँ ने कह दिया मुझसे तुम न आओगे,
मुझ व्याकुल धरा पे प्रेम मेघ न बरसाओगे,
दिल बार बार ये कहता है मुझसे आज भी,
कान्हा तुम आओगे वहीं प्रेम धुन सुनाओगे,
―अश्विनी यादव
हमें प्रयास करते रहना चाहिए ज्ञान और प्रेम बाँटने का, जिससे एक सभ्य समाज का निर्माण किया जा सके।
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शनिवार, 6 अगस्त 2016
तुम आओगे
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