क्या हम विश्व गुरु कभी बन पायेंगें..? नहीं न... क्योंकि ये जो डरा सहमा चेहरा दिख रहा है न..इसके इस गटर के अंदर जाने के बाद वापस ज़िन्दा निकल आने की उम्मीद कम रहती है।
आज हमारे पास मंगल तक जाने का साधन तो है लेकिन गटर साफ़ करने के लिए ज़िन्दगी दांव पर लगाई जाती है। सोचिएगा कभी.... इनके भी परिवार हैं, इनके भी कुछ सपने हैं, इनकी भी एक ज़िन्दगी है... क्या ये लोग सिर्फ़ एक नाले /गटर में उतर कर मर जाने के लिए ही बने हैं? क्या इनके मुँह-नाक में ये गंदगी नहीं जाती है..? क्या हम मंगल ग्रह पर जाकर ख़ुश रहेंगें... जब यहाँ के लोग ही इस तरह से मरे जा रहे हैं।