ज़िन्दा रहते दिल का दर्द सुनाने वाले
कितने अच्छे होते हैं मर जाने वाले
मर जाते ही दुनिया को खूबी दिखती है
बदल रहें हैं किस्से भी बतलाने वाले
एक शजर ने वीराने में उम्र गुजारी
सूख गया तो आए उसे गिराने वाले
अंगारों को पार किया तब मर्कज़ आया
कितने हैं मुझ ऐसे पैर जलाने वाले
इक दरिया सैलाब बना तो आफत आई
अब तक जाने कहां थे बांध बनाने वाले
ये दुनिया केवल मतलब से ही साथ रही
देखो फूँक रहे हैं प्यार जताने वाले
सब कहते हैं तू वापिस आ जा घर अपने
कब आयें हैं राह-ए-जन्नत जाने वाले
हाँ! मैं पागल हूँ, शायर हूँ, दूर रहो तुम
थक कर मुझसे हार गए समझाने वाले
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अश्विनी यादव