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शनिवार, 7 दिसंबर 2019

नई ग़ज़ल

ज़िन्दा रहते दिल का दर्द सुनाने वाले
कितने अच्छे होते हैं मर जाने वाले

मर जाते ही दुनिया को खूबी दिखती है
बदल रहें हैं किस्से भी बतलाने वाले

एक शजर ने वीराने में उम्र गुजारी
सूख गया तो आए उसे गिराने वाले

अंगारों को पार किया तब मर्कज़ आया
 कितने हैं मुझ ऐसे पैर जलाने वाले

इक दरिया सैलाब बना तो आफत आई
अब तक जाने कहां थे बांध बनाने वाले

ये दुनिया केवल मतलब से ही साथ रही
देखो फूँक रहे हैं प्यार जताने वाले

सब कहते हैं तू वापिस आ जा घर अपने
कब आयें हैं राह-ए-जन्नत जाने वाले

हाँ! मैं पागल हूँ, शायर हूँ, दूर रहो तुम
थक कर मुझसे हार गए समझाने वाले

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  अश्विनी यादव