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रविवार, 9 दिसंबर 2018

सब पहले जैसा है

सुबह वैसी ही हुई है
जैसे पहले भी होती आई है
आज भी उसी कप में चाय मिली
वही अख़बार, चहल- पहल
सब के सब एक जैसे थे
बस बदला था कुछ तो
मेरे अंदर का आदमी
मेरे दिल के अंदर की जगह
ये वो जगह है
जहाँ मुहब्बत, वफ़ा, ईमानदारी,
विश्वास, कामना और करुणा
रखने की तिजोरी बनी थी
लेकिन धोके नाम के डाकू ने
डाका डाल दिया
अब वहाँ सिर्फ़ और सिर्फ़
खालीपन है,
जहाँ सब एकदम वीरान है,
और कुछ नहीं बदला
सब पहले जैसा ही है
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     अश्विनी यादव