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शुक्रवार, 20 जनवरी 2017

हाँ तुम स्त्री हो


माँ हो, बहन हो, बेटी हो,
परिवार खुद में समेटी हो,
कभी फूल सी कोमल हो,
कभी हीरे सी कठोर हो,
रात सी शीतल दिन सोनल हो,
समाज संघर्ष की भोर हो,
आस्था की ज्योति नारी हो तुम,
हम एक रूप में उद्धारी हो तुम,
हो विश्वास की कल्पवृक्ष,
प्रेम न्याय की मूर्ति हो,
हो दर्पण सी एक चच्क्षु,
मनुष्य श्रृंखला की पूर्ति हो,
हाँ तुम लड़की हो औरत हो,
पत्नी हो हाँ तुम स्त्री हो,
तुम गर्व करो अभिमान करो,
अपने नारीत्व का सम्मान करो,

     (कवि―अश्विनी यादव)