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गुरुवार, 30 दिसंबर 2021

नामकरण सरकार का साया पड़ा “अकबर इलाहाबादी ,, के नाम पर

आपने तो इस ग़ज़ल को सुना ही होगा "हंगामा है क्यों बरपा, थोड़ी सी जो पी ली है" ये एक बेहद लोकप्रिय ग़ज़ल है, जिसे अकबर इलाहाबादी ने लिखा है और इसे गुलाम अली द्वारा गाया गया है। अकबर इलाहाबादी के छंदों को नुसरत फतेह अली खान द्वारा प्रसिद्ध कव्वाली "तुम इक गोरख धंधा हो" में भी अपनाया गया। 2015 की हिंदी फिल्म मसान में अकबर इलाहाबादी की कई कविताओं का इस्तेमाल किया गया था।

आप सब सोच रहे होंगे कि हम अकबर इलाहाबादी के बारे में क्यों बात कर रहे हैं जबकि आज न तो उनका जन्मदिन है न ही पुण्यतिथि फिर क्यों..? तो बताते चले कि इसका सबब ये है योगी आदित्यनाथ की सरकार ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किया था। अब उन्हें ख़ुश करने के चक्कर में “ उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ,, ने उन सभी कालजयी शायरों का नामकरण कर डाला है जिनके नाम के आगे इलाहाबादी टाइटल ( तख़ल्लुस ) लगा था। आयोग ने 'एबाउट इलाहाबाद' वाले कॉलम में अकबर इलाहाबादी, तेग इलाहाबादी और राशिद इलाहाबादी के नाम बदल दिए हैं। सबका नामकरण करते हुए 'इलाहाबादी' को हटाकर 'प्रयागराजी' कर दिया है।




तमाम साहित्य प्रेमियों द्वारा इस कृत्य की कड़ी आलोचना हो रही है। उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के अध्यक्ष ईश्वर शरण विश्वकर्मा ने बताया कि मुझे इस बात की जानकारी नहीं है। अगर ऐसा हुआ है तो ये ग़लत है, इसे अभी दुरुस्त किया जाएगा। बाद में ठीक भी कर दिया गया... वापस से सबके नाम पहले जैसे कर दिया गया।


सोशल मीडिया पर लोगों ने किया ट्रोल :


योगी सरकार के नक़्श-ए-क़दम पर चलते हुए उनके अधिकारी अब साहित्य से भी छेड़छाड़ करने लगे हैं। योगी जिस इतिहास का हवाला देते हुए इलाहाबाद को प्रयागराज कर दिया था , अब उसी इतिहास से छेड़छाड़ करना कहाँ तक उचित है। 

तमाम साहित्यकारों ने टिप्पणी की है “ योगी जी  अब क्या उन सभी ग़ज़लों से मक़्ता में भी बदलाव करेंगें ,,

( मक़्ता - ग़ज़ल का आख़िरी शे'र जिसमें शायर अपना नाम या तख़ल्लुस लिखता है उस शे'र को मक़्ता कहा जाता है )

किसी ने लिखा कि बदलते ही रहोगे या कुछ कर के भी दिखाओगे नामकरण सरकार वालों। 


उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की वेबसाइट पर शायरों के नाम बदले गए 


उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने अपनी ऑफिशियल वेबसाइट uphesc.org के ' अबाउट अस' कॉलम में अबाउट इलाहाबाद में हैं साहित्यकारों के नाम।

शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े हुए आयोग द्वारा ऐसे काम की बहुत निंदा हो रही है।


जानिए कौन हैं अकबर इलाहाबादी:


असली नाम तो सैयद अकबर हुसैन था लेकिन असलियत में शोहरत उनके तख़ल्लुस अकबर इलाहाबादी  से मिली।(16 नवंबर इनकी शायरी में व्यंग्य की शैली में एक भारतीय उर्दू शायर थे।

अकबर इलाहाबादी का जन्म इलाहाबाद से ग्यारह मील दूर बारा शहर में सैय्यद के एक परिवार में हुआ था, जो मूल रूप से फारस से सैनिकों के रूप में भारत आया था । उनके पिता मौलवी Tafazzul हुसैन नायब तहसीलदार थे।

अकबर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने पिता से घर पर ही प्राप्त की। 1855 में, उनकी माँ इलाहाबाद चली गईं और मोहल्ला चौक में बस गईं । अकबर को 1856 में एक अंग्रेजी शिक्षा के लिए जमुना मिशन स्कूल में भर्ती कराया गया था, लेकिन उन्होंने 1859 में अपनी स्कूली शिक्षा छोड़ दी। हालाँकि, उन्होंने अंग्रेजी का अध्ययन जारी रखा और व्यापक रूप से पढ़ा। अकबर रेलवे इंजीनियरिंग विभाग में क्लर्क के रूप में काम करने लग गए। सेवा में रहते हुए, उन्होंने एक वकील यानी बैरिस्टर रूप में अर्हता प्राप्त करने के लिए परीक्षा उत्तीर्ण की और बाद में एक तहसीलदार और एक मुंसिफ के रूप में काम किया , और अंततः सत्र अदालत के न्यायाधीश के रूप में काम किया। न्यायिक सेवाओं में उनके काम की स्मृति में, उन्हें “ख़ान बहादुर,, की उपाधि से सम्मानित किया गया। नौकरी के साथ साथ उन्होंने अपने व्यंग्यात्मक अंदाज़ में शायरी को भी महत्व दिया, उनकी शायरी आज हर किसी मुँह पर बसती है।

अकबर 1903 में सेवानिवृत्त हुए और इलाहाबाद में रहे। 9 सितंबर, 1921 को बुखार से उनकी मृत्यु हो गई और उन्हें इलाहाबाद के हिम्मतगंज जिले में दफनाया गया।

उनकी ग़ज़लों को बहुत सारे ग़ज़ल गायकों ने अपनी आवाज़ दी है। जितना नाम इलाहाबाद ने अकबर को दी थी उससे कहीं ज़्यादा नाम अकबर ने इलाहाबाद शहर को दी है। उनकी ग़ज़लें विश्व भर में सुनी -पढ़ी जाती हैं।


       ~ अश्विनी यादव