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मंगलवार, 22 जून 2021

ग़ज़ल

उसने गंगा से धुलवाया था गोकुल,
कुछ यूँ उसने शुद्ध कराया था गोकुल,

कोई उसको समझाओ कि माधव ने
आँख बनाकर ख़ुद पे सजाया था गोकुल

गोकुलधाम भले ही छूटा हो लेकिन
कान्हा जी ने कब बिसराया था गोकुल

प्रियतम सह जाते हैं सारे रंज-ओ-ग़म
सबसे सच्ची प्रीत निभाया था गोकुल

प्रेम बिना है दुनिया सूनी सच मानो
चाहत में घर बार लुटाया था गोकुल

     
     ~ अश्विनी यादव