पता तो करो कौन बरगला गया है
सुना है कि विकास पगला गया है
जो मंच से खूब गलगला गया था
वो खुद को जादूगर बता गया था
किसानों जवानों की बात करता था
देश न झुकने दूंगा दम्भ भरता था
टैक्स वाली समस्या हल कर दूंगा
काला धन लाकर हर घर भर दूंगा
नारी सुरक्षा का उसका वादा था
हत्या लूट के खात्मे पर आमदा था
गाय गंगा के हित से यूँ वास्ता था
वहीं है हिंदुत्व जिसका रास्ता था
देश लाइन में लगाकर चला गया
दो दिनों बाद टेंसुएँ बहाने आ गया
कहता था चौराहे पर लटका देना
जी में आये तो सूली पे चढ़ा देना
मेरा क्या झोला वाला फकीर हूँ
उठाया चल दूंगा इतना गम्भीर हूँ
गधे से सीख रहा हूँ मुझे देखो न
सबका डीएनए जांचा मेरा देखो न
बेरोजगारों की चमड़ी उधेडा हूँ
बेटियों को लाठियों से खदेड़ा हूँ
शिक्षामित्रों की चिता लगाया हूं
रोजगार सेवकों को लतियाया हूँ
बच्चों को जिंदा ये दफना गया है
सुना है की विकास पगला गया है
राम मंदिर का खेला खेल गया है
लेके मोटा सा ये चंदा पेल गया है
शहीदों की बात पे हकला गया है
ई गुजराती विकास पगला गया है
देख अश्विन भी कैसे ठगा गया है
ये भक्तों का बप्पा पगला गया है
......... जिस तरीके से आज भारत देश की नीतियां हैं शासन-प्रशासन है और पूरा प्रतिरूप है उसको देखते हुए ही लग रहा है कि विकास पूरी तरह से अपना संतुलन खो बैठा है। हमारी सभी सिर्फ विनती है कि इस विकास को इसकी औकात पर रखे और भविष्य में विकास को संभाल कर रखेंगे कहीं फिर से ना पगलाने पाए,,,,,,,,,,
― अश्विनी यादव