सुनो अजय तुम्हारा साथ बहुत अच्छा है, तुम सबका ख़याल रखने में अपना ख़याल रखना भूल जाते हो. लेकिन ये बार बार चाय पीने वाली आदत तुम्हें छोड़नी पड़ेगी। अभी डॉक्टर ने तुम्हें मना किया था न और मीठा भी कम दो वरना शुगर की शिकायत हो जाएगी.... मेरे लॉकर में कुछ गहने हैं उनको याद से ले लेना, पॉलिसी के कुछ कागज भी हैं....
मेरे कपड़े और मेरी फ़ोटो न हटाना कमरे से न ही मेरी डायरी..... मैं उन्हीं में ज़िन्दा रहूँगी।
हाँ मेरे जाने के बाद
अपने फ़ेवरेट कलर ब्लू से कमरे को कलर करवा लेना, चादर भी पर्दे भी सब उसी कलर का ले लेना,,,
और अगर कोई मुझसे ज़ियादह अच्छी मिले तो शादी ज़रूर कर लेना उससे ढ़ेर सारा प्यार भी करना पर मुझे अपने दिल के कोने में कहीं न कहीं बचा के ज़रूर रखना.....कहते कहते अनन्या और अजय दोनों फ़फ़क के रो पड़े....।
डॉक्टर ने फाइनली रिपोर्ट भी दे दी हाथ में 'कैंसर लास्ट स्टेज़' था अनन्या को।
अथाह मुहब्बत के बावजूद अजय सिर्फ़ बेबस, लाचार, आँखों मे आँसुओं सागर लिए खड़ा अजय भी शायद करोडों लोंगों के शहर में ख़ुद को अकेला महसूस कर रहा था..... और दिल से एक आवाज़ आ रही थी कि ''यहाँ अब और बचा क्या है,, ये शरीर है बस इसमें से ज़िन्दगी तो कहीं दूर कहीं बहुत दूर जा रही है.....
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अश्विनी यादव