तुम्हारा चेहरा ही बदला है
मेरी आँखें वही हैं
अब न तुम अच्छी लगती हो
न ही तुम्हारी आँखें
तुम्हारी ही आवाज बदली है
मेरे कान वही हैं
अब न तुम्हें सुनना अच्छा है
न ही तुम्हारी बातें
कुल मिलाकर ये समझो
मैं वैसा ही हूँ
लेकिन अब न तुम अच्छी हो
न ही तुम्हारा साथ।
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अश्विनी यादव
हमें प्रयास करते रहना चाहिए ज्ञान और प्रेम बाँटने का, जिससे एक सभ्य समाज का निर्माण किया जा सके।
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गुरुवार, 1 अक्टूबर 2020
नज़्म
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