“ मदद ख़ुशी देती है ,,
आज एक होटल में खाना खाने गया, मैं अक्सर वहाँ जाता रहता हूँ। मैं खाना खा रहा था तो देखा कि एक बुजुर्ग गन्दे कपड़े में होटल के बाहर खड़े थे... काफी हिचकिचाहट के बाद वो अंदर आये और एक टेबल पर बैठ गए।फिर थोड़ी देर सोचने के बाद उन्होंने कहा “ दाल चावल है,,
होटल वाले ने मुँह बनाते हुए ऊँचे स्वर में पूरी थाली का जो रेट है उस दाम पर केवल चावल दाल का बता दिया यानी दोगुना रेट। अब बाबा चुप से बैठ गए।मैंने खाना खाते खाते मालिक से कहा कि “ अरे यार दाल चावल का उन्होंने पूछा था और आप क्या बता रहे हैं, और लड़के जो खा रहे थे देखने लगे।
मालिक अपना काम करते हुए बड़बड़ाया कि अब ये ही रेट है।
मैं: अब क्या ग़रीबों को खाने नहीं दोगे यार?
एक मिनट बाद मेरी नज़र बाबा की तरफ़ पड़ी तो वो मुझे देख रहे थे.. और मैं उस मालिक की सोच पर तरस आ रहा था.. कि जब कोई पैसे भी देना चाहता है तो उसे रेट इतना ज़्यादा क्यों बता दिया।
मैंने बाबा से पूछा कि ये मैं जो पूड़ी खा रहा हूँ ये खायेंगें या दाल चावल रोटी...?
बाबा: ये ही ठीक है। ( बड़े धीरे से )
फिर मैंने भी मालिक के उसी लहज़े में उससे एक और थाली लगाने के लिए कहा... तब तक मैं खा चुका था। जब बाबा के सामने थाली आ गयी तब तक मैं हाथ धोकर आ चुका था।
मैंने हम दोनों का पेमेंट किया, और फिर बाबा से पूछा कुछ और चाहिए, बोले नहीं।मैंने उनको बताया कि पैसे मत देना इनको।
अब वहाँ के लड़के मुझे अजीब तरह से देख रहे थे। मैं ख़ुश था कि किसी को सम्मान मिला, जगह मिली।
मालिक से मैं अक्सर प्यार से बात करता था लेकिन आज उसे देख चिढ़न हुई।
मेरे इस पोस्ट का केवल एक मतलब है कि हक़ दिलाइये, सम्मान दिलवाइये और हाँ जो सम्भव मदद हो सके, कीजिये। और हाँ जहाँ ज़रूरी न लगे वहाँ तस्वीरें तो बिल्कुल न लीजिये।
हम इंसान हैं सो इंसान की तरह पेश आना चाहिए, अमीरी-ग़रीबी कभी सदियों का तो कभी बस चंद लम्हों का खेल है।
किसी के लिए स्टैंड लीजिये, मदद करके देखिये... बड़ी ख़ुशी की अनुभूति होती है।
~ अश्विनी यादव