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सोमवार, 24 मई 2021

नज़्म

वैसे तो ये कहना ग़लत ही होगा
लेकिन फिर भी यक़ीन करना
हम दोनों की तकदीरों में
नहीं लिखा इस जनम में मिलना...

बहुत जतन कर चुका हूँ मैं भी
बहुत जतन कर चुकी हो तुम भी
हम दोनों से ख़फ़ा है दुनिया
सच से एकदम जुदा है दुनिया
इस दुनिया को नहीं पता है
क्या मुहब्बत, क्या चाहत है ?

हम दोनों को बतलाना था
सबको मुहब्बत तक लाना था
लेकिन ये होने से रहा अब
तुम भी सब कुछ भूल ही जाना
मत बतलाना किसी को कुछ भी
हम भी ऐसे जीते रहेंगें
दिल की कोई बात न सुनना
हरदम हँसकर बातें करना

हम दोनों को ख़ुश रहना है
मिलो कभी तो ध्यान रखना..
हम दोनों की तक़दीरों में
नहीं लिखा इस जनम में मिलना....
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अश्विनी यादव