बंदगी रखिये भला क्या हर किसी से
सारे चेहरे लग रहे हैं मतलबी से
कब तलक नाराज़गी पर हम मनाएँ
आज रिश्ता तोड़ लो अपनी ख़ुशी से
आदमी ही आदमी का यार कब था
मिल रहे हैं लोग सबसे ज़्यादती से
ख़ुदकुशी बेहद बुरी है चीज़ प्यारे
शाइरी को भी मिलाओ ज़िन्दगी से
हो मुबारक तुमको ये रंगीन दुनिया
हमको लम्हें काटने हैं सादगी से
________________
अश्विनी यादव