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शनिवार, 13 नवंबर 2021

ग़ज़ल

बंदगी रखिये भला क्या हर किसी से
सारे चेहरे लग रहे हैं मतलबी से

कब तलक नाराज़गी पर हम मनाएँ
आज रिश्ता तोड़ लो अपनी ख़ुशी से

आदमी ही आदमी का यार कब था
मिल रहे हैं लोग सबसे ज़्यादती से

ख़ुदकुशी बेहद बुरी है चीज़ प्यारे
शाइरी को भी मिलाओ ज़िन्दगी से

हो मुबारक तुमको ये रंगीन दुनिया
हमको लम्हें काटने हैं सादगी से
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  अश्विनी यादव