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बुधवार, 6 सितंबर 2017

बगिया गए थे

थोड़ी सी धूप

थोड़ी सी ख़ुश्बू

हम चुरा लाये हैं 

आज बगिया गए थे,

गुलमोहर के फूल  

कुछ कुतरे से फल

हम उठा लाये हैं

आज बगिया गए थे,

कोयल की कूक

मोरनी की पीहू

हम सुना लाये हैं

आज बगिया गए थे,

मुस्कुराती घासें

बावली सी तितली

हम दिखा लाये है

आज बगिया गए थे।।

   
 ~ अश्विनी यादव