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रविवार, 10 सितंबर 2017

आशुतोष तिवारी (शख्सियत)

नमस्कार,
जैसा कि मैं पिछली बार की तरह फिर एक शख्सियत से मिलवाता हूं आपको,
आज मैं आपका परिचय करवाता हूं पेशे से शिक्षक और कलम की ताकत से पहचान बनाने वाले श्री आशुतोष तिवारी जी से।
शुरू में मैं इनको पढ़ता रहा था और काफी दिनों तक इनको पढ़ता ही रहा फिर धीरे-धीरे इनको जाना समझा हमारी बातें कई बार हुई मुलाकात हुई, अब इन्हें न तो आलोचक कह सकता हूं ना ही किसी पार्टी का प्रशंसक कह सकता हूं हालांकि इनका झुकाव भारतीय जनता पार्टी की ओर है फिर भी जहां पर भारतीय जनता पार्टी को गलत दिखती है यह स्वयं सामने खड़े हो जाते हैं और जवाब मांगते हैं, इन्हें सिर्फ हिंदूवादी तो नहीं कहेंगे क्योंकि इनकेे कामों को मैं हिंदू सशक्तिकरण के तौर पर देख सकता हूं लेकिन इनके लिए इंसानियत सर्वोपरि है, देश हित सर्वोपरि है,
आशुतोष भइया को बहुत ही अल्प समय में ही शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए जिलाधिकारी महोदय द्वारा सम्मानित किया गया मैं लगातार YouTube पर वीडियोज देखता रहता हूं जहां पर बच्चों को पूरा क ख ग घ नहीं आता था वहां पर तिवारी भइया ने बच्चों को हरे क्षेत्र की शिक्षा दी। वह योग से लेकर खेल हो या गणित से लेकर अन्य विषय हो भैया के साथी शिक्षक भी क्षेत्र में उनका भरपूर सहयोग कर रहे हैं मैं इनके लेखन से काफी प्रभावित हूं उनका लेखन चाहे वह कविता हो ब्लॉग हो राजनीति पर हो आलोचना हो कुछ भी हो सब बेहतरीन होता है अब मैं परिपक्वता झलकती है अभी कुछ दिनों पहले ही भैया से मुलाकात का अवसर प्राप्त हुआ यह लखनऊ में आए थे और उन्हें दिल्ली जाना था मैं पहली बार भैया से चारबाग बस स्टेशन पर मिला,
यहां पर एक मुस्लिम समुदाय की महिला थी उन्होंने हम से यह कहा बेटा बड़ी भूख लगी है कुछ खिला दो भैया पीछे रह गए थे कुछ खरीद रहे थे हमने कहा चलो कुछ खा लो हमने होटल वाले से कहा कुछ सादा खाना दे दो और पैसा देने लगा तब तक वह महिला बोल पड़ी कि भैया मीट खाऊंगी इस पर मेरा मूड थोड़ा सा बदल गया क्योंकि मुझे बुरा इस बात का लगा कि अभी खाने के लिए नहीं था और मैं खिला रहा हूं किसी तरीके से तो उसमें आपको मीट खाना है अजीब बात है ।
तब तक आशु भैया आ गए और हमसे बोले कि जब किसी को बैठा दिए खाने के लिए तो उसको खिला दो जो खाना है उसे खा ले और उन्होंने पैसे पैसे दिए होटल वाले को और हम लोग हम दोनों लोग आगे बढ़ गए एक बढ़िया जगह पर बैठकर चाय पिया गया बहुत ढेर सारी बातें हुई भैया को छोड़कर मैं वापस लाइब्रेरी आ गया।
और इसी वाकये के बाद मुझे यह समझ में आया कि किसी की मदद करते समय उसके जाति धर्म समुदाय देश ऐसा कुछ भी नहीं देखा जाता है और ना ही देखना चाहिए क्योंकि इंसानियत सर्वोपरि है वैसे तो मेरे और आशु भैया के दल अलग है जिसके हम समर्थन करते हैं लेकिन दोनों का दिल राष्ट्रहित में ही धड़कता और दिमाग समाज हित में ही सोचता है।
मुझे समय समय पर पता चलता रहता है कि आपने यह फलाना अच्छा काम किया है फलाने के साथ यह मदद कर दिया है इन सबसे खुशी मिलती है लेकिन मुझे सबसे ज्यादा खुशी इस बात की है देश के नींव को सवारने की जिम्मेदारी आप बखूबी निभा रहे हैं।अर्थात बच्चों को बेहतरीन शिक्षा दे रहे हैं।
मैं आपसे मिला आप को पढ़ा और आपसे सीखा इस बात की मुझे बहुत खुशी है इसलिए मैं Facebook का धन्यवाद करता हूं आपका भी आपका अनुज अश्विनी यादव ।
इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए हम जल्द मिलेंगे एक नई शख्सियत के साथ।
धन्यवाद