रेल बेंच दिया, दूर संचार बेच दिया
स्टेशन का भी जार जार बेंच दिया
सड़क पे सड़क बेंच रहा है पगला
फुटफाथ पे लगा संसार बेंच दिया
जहां मिला जो मिला साफ किया
मौके पे से गांधी चरखा नाप दिया
खद्दर की आड़ में व्यापारी देखो
फ़क़ीरी चोला में नोट चांप दिया
― अश्विनी यादव
....देश बेंच के रख देगा इ कुर्सी के जाने से पहले।