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बुधवार, 2 अगस्त 2017

सब तुम्हारी कारस्तानी है

आखिर बात क्या है जरा बता दो न तुम,
नई बाग लगी है शहर में या आये हो तुम,
आखिर बात क्या.......

इतनी जमालियत हमने पहले देखी नहीं,
चांद पूरा है की चांदी में नहा आये हो तुम,
आखिर बात क्या.......

कोई पता तो करो ये शज़र ठहरा है क्यूं,
यकीं है महफ़िल में मुस्कुरा आये हो तुम,
आखिर बात क्या.......

जिस डगर पे गया करीब-ए-मर ही दिखे,
उस शहर में बेपर्दा घूम कर आये हो तुम,
आखिर बात क्या......

पुजारी मन्दिर नहीं मियां मस्ज़िद न गया,
जब से उनके हाल पूंछ कर आये हो तुम,
आखिर बात क्या......

            ― अश्विनी यादव