उलझन में सुलझी अच्छी हो
नटखट प्यारी सी अच्छी हो
हाँ! तो पहले ये बतलाओ
ये तुम क्यूँ इतनी अच्छी हो
सूरत, सीरत, लहज़ा, बोली
ये कैसे पूरी अच्छी हो
तुम अच्छी हो ये दिखता है
पर सुनने में भी अच्छी हो
तुम एक परी सी आई हो
तुम कुछ ज़्यादा ही अच्छी हो
हैरत में है दुनिया सारी
तुम अच्छी से भी अच्छी हो
साथ निभाओ तो मैं मानूँ
ग़र सच में इतनी अच्छी हो
~ अश्विनी यादव