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सोमवार, 18 सितंबर 2017

शख्सियत 3 ( चंद्रेश यादव )


नमस्कार,
मैं शख्सियत के नए अंक मे आपकी मुलाकात फिर से एक नई शख्सियत से करवा रहा हूं, जिन्हें मैं अपने बचपन से, शायद उनके बारे में लगभग सब कुछ या बहुत कुछ जानता हूं आप मेरे लिए हमेशा प्रेरणा स्रोत रहे हैं हमारा मार्गदर्शन करते रहे हैं और सही गलत की शिक्षा के साथ-साथ मुझे हमेशा लिखते रहना और हक की आवाज बुलंद करने के लिए प्रेरित करते रहें, जी हां मैं बात कर रहा हूं अपने अग्रज श्री चंद्रेश यादव जी की।
.......हालांकि मेरी हैसियत नही है इतनी की मेरे द्वारा आपका परिचय कराऊँ.....फिर भी.... ये हिमाकत जरूरी थी।
........ आप पेशे से अधिवक्ता है, समाजवादी पार्टी के जमीनी नेता है, और एक नेक दिल के मालिक है... इलाहाबाद से 12 वीं के बाद से लखनऊ यूनिवर्सिटी llb और एल एल एम पूरा किया । आप का शुरू से ही  छात्र हित हो  या अन्य कोई मुद्दा हो आप हमेशा संघर्षशील रहे हैं  जिसकी बदौलत आपने 2004 में लखनऊ यूनिवर्सिटी में कैंपस से छात्र नेतृत्व करते हुए विधि प्रतिनिधि का चुनाव जीता, इसके उपरांत 2005 2006 में लखनऊ यूनिवर्सिटी से उपाध्यक्ष पद के प्रत्याशी रहें..... 2011 में प्रतापगढ़ से आपने जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जिस में मामूली अंतर से हार गए, लेकिन आपके जुझारूपन को देखते हुए घर का एक अनुज अनुराग यादव बाली छात्र संगठन हित में आगे आया और आपके मार्गदर्शन में इविवि से उपमंत्री का चुनाव लड़ा, अब आपके ही मार्गदर्शन में ही हमारी भाभी जी समर्थक भावना यादव जानकीपुरम, लखनऊ से पार्षद प्रत्याशी भी है।
खैर ये सब तो चलता ही रहेगा, अब मैं भैया जी की कुछ दिलचस्प बातों से रूबरू कराता हूं मित्रों..
मैं बचपन में एक बात हमेशा दुखी होता था कि भैया मुझे हर सुबह ढेर सारे सिक्के रहते थे और मैं दिन भर उनके साथ खेलता रहता था शाम को जो सोया था था वह मेरी जेब से सारे सिक्के निकाल लेते थे फिर अगले दिन वह मुझे देते थे और यह कहते थे कि तुमने सारे सिक्के को दिए अब लोग फिर से दे रहा हूं और मैं दिन भर यही सोचता रहा है बार बार मुझे सिक्के दे रहे हैं और मैं गंदा हूं की खो दे रहा हूं। अब आता हूं दूसरी बात पर तो अभी तक यहां रहेंगे भैया का जब क्रिकेट खेलने का मन होता है तो हम लोग के साथ जबरदस्ती खेलते हैं क्रिकेट और सबसे बड़ी बात यह है कि उन्हें पहले बैटिंग और पहले बोलिंग चाहिए, अगर हम उनके साथ में न खेले तो चिल्लाने के लिए कोई न कोई बहाना ढूंढ लेते हैं।
इन सब से परे एक दूसरा लोगों का यह है कि उन्हें कुत्तों से बहुत प्यार है वर्तमान समय में उनके पास तीन है छोटू टाइगर, जेनी.... और हम भाइयों के लिए अथाह प्रेम, पूरे परिवार का ख्याल रखना... परंतु इनकी भूल जाने की आदत सबसे गंदी है पर सबसे अच्छा यह है कोई भी मिलता है आपसे तो मिलनसार व्यक्तित्व की वजह से उसे कभी यह फील नहीं होता है कि वह आपसे पहली बार मिल रहा है।
अपने हिसाब और हैसियत के अनुसार अनगिनत लोगों की मदद करते हुए आज इस मुकाम तक पहुंचे है,,,,,आपके द्वारा कभी किसी के साथ कोई धोखेबाजी न करना ही मैंने सरखों पर आपको रखा है।
आपसे सबको सिर्फ एक बात की शिकायत है कि आप फोन नही उठाते है, कहीं पहुंचने के लिए देर कर देते हैं, व्यस्तता में कई काम भूल जाते है,
मैं आपको जन प्रतिनिधि के रूप में देखना चाहता हूं, उम्मीद है कि एक दिन ये हकीकत होगा और जल्द ही होगा।
आज मुझे इतने ढेर सारे लोग जानते है, और ध्यान रखते है इन सबके लिए आपका ढेरो योगदान है।
"पिता की अनुपस्थिति में बड़ा भाई सारी जिम्मेदारी निभाता है,, ये सिर्फ सुना ही नही हम देख भी रहे हैं...
घर से दूरी कभी महसूस नही होती,,,,
धन्यवाद अग्रज श्री चंद्रेश यादव जी

                     ― अश्विनी यादव