तुम्हें ये हक़ दिया किसने
किसी को मार देने का
घरौंदे तोड़ देने का
तुम्हें ये हक़ दिया किसने
बनाकर लाश उनको
कर रहे ज़ुल्म-ओ-सितम
निशाँ कोई नहीं बाक़ी
है उनकी बेगुनाही का
उन्हें बर्बाद करने का
तुम्हें ये हक़ दिया किसने
किसी की लाश पर चढ़कर
पैरों से कुचलने का
किसी हैवान के जैसे
शज़र वीरान करने का
तुम्हें ये हक़ दिया किसने
~ अश्विनी यादव
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