सुकून-ओ-सब्र तुम तोड़ा करोगे
मिरी जां सच में तुम ऐसा करोगे
तुम्हारे साथ मेरा नाम लेगें
भला कितनों से तुम उलझा करोगे
भले हम लाख तेरा ध्यान रक्खें
नई रंजिश ही तुम पैदा करोगे
तिरी परछाई समझा था मैं ख़ुद को
कि अब ग़ैरों को हमसाया करोगे
सुनों जब हम यहाँ होगें नहीं तो
मुझे हर दर पे तुम ढूँढा करोगे
सुनहरी शाम हम रेतों पे बैठे
वो हर इक बात तुम सोचा करोगे
बहुत रोओगी तुम भी जान उस दिन
अगर मैं मर गया तो क्या करोगे
~ अश्विनी यादव