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शनिवार, 11 अक्टूबर 2025

ग़ज़ल

तुम्हें दिल की हालत बताना नहीं था
बताकर के तुमको रुलाना नहीं था

हमें दर्द ऐसा मिला है किसी से
कि महफ़िल में सबको बताना नहीं था

मिरे चे'हरे पे शिकन तो नहीं है
यूँ दर्द-ए-निहाँ ये दिखाना नहीं था

न मुझको पता था बिखर जाएगा वो
गले से उसे फिर लगाना नहीं था

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