राम नाम पे लूट ले गये
गाय पे हत्या जारी है,
दलितों को सब पीट गये
गंगा पूजन उधारी है,
खुद को राष्ट्रवादी कहते
सेना पे वोट बाजारी है,
अपने मर रहे रोज पर उन्हें
विदेशी जमीने प्यारी है,
दुःख नही झूठे सारे वादे थे
हाँ ये सरकार व्यापारी है,
मन्दिर मन्दिर हर बार किये,
पर समय न कभी जारी है,
गर मन्दिर बना तो भेद खत्म,
बस यहीं समस्या सारी है,
समाजवाद का कल्पित चेहरा,
ठाना राम पार्क बनवाने का,
वोट खातिर धर्म युद्ध शुरू किये,
ये भूल तुम्हारी भारी है,
व्यापार इनके खून में बह रहा,
बह चुकी हिंदुत्वता सारी है,
ये दलाल है उद्योगपतियों के,
सब पैसे वालों के दरबारी है।
© ―अश्विनी यादव
हमें प्रयास करते रहना चाहिए ज्ञान और प्रेम बाँटने का, जिससे एक सभ्य समाज का निर्माण किया जा सके।
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सोमवार, 20 मार्च 2017
लूट गये
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