कुल पेज दृश्य

सोमवार, 20 मार्च 2017

शिव सर्वत्र है

शिव ही सब है, सब में शिव है,
शिव ब्रम्ह है, जहाँ भी शिव है,
दुःख भी शिव है, सुख भी शिव है,
मन भी शिव है, मुख भी शिव है,
शिव ही ओज है, तेज भी शिव है,
शिव समस्या, शोध भी शिव है,
शिव छुपा है, खोज भी शिव है,
शिव ही मिथ्या, सत्य भी शिव है,
शिव आकार, निराकार शिव है,
शिव चमत्कार, विचार भी शिव है,
शिव ही नियम है, कर्म भी शिव है,
शिव ही सुन्दर, धर्म भी शिव है,
शिव है जन-जन के रग - रग में,
शिव निहित हैं हर में इक कण में

शिव संसार है, शिव ही सकल है,

शिव समुद्र है, शिव ही जल  है,

शिव सर्वस्व, ब्रम्हाण्ड भी शिव है,
शिव ही आदि है, अनन्त भी शिव है,
___जय शिव शंकर___


           ― अश्विनी यादव

कोई टिप्पणी नहीं: