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रविवार, 24 अक्टूबर 2021

नज़्म ~ करवाचौथ

मेरे लाख मना करने पर
रख लेती है व्रत तू अक्सर
उफ़्फ़ ये तेरे जैसे पागल
प्यार मुझे कितना करते हैं
तू बात मेरी भी माना कर
अपनी सेहत को देखा कर
लेकिन तुझको ये जँचता है
जो जँचता है सब अच्छा है
तू ख़ुश है तो मैं भी ख़ुश हूँ
चौथ मना ग़र यार ख़ुशी है
 

     ~ अश्विनी यादव

शनिवार, 16 अक्टूबर 2021

इलेक्ट्रॉनिक कारों का बढ़ता कारवाँ

Tata EV :  जल्द ही हमारे बीच होगी

दुनिया की  कब तक की सबसे छोटी नैनो इलेक्ट्रिक  कार जिसे टाटा कम्पनी लॉन्च करेगी।

रतन टाटा ने लखटकिया कार से प्रसिद्ध Tata Nano लांच की थी जो कि लोगों को उनके मनमुताबिक़ नहीं मिल पाई थी लेकिन अब TATA ग्रुप बड़े बदलाव के साथ इलेक्ट्रॉनिक रूप से उतार रही है ये कार, जिसमें बहुत सी ख़ूबियाँ हैं  जिन्हें आप भी नकार नहीं सकते हैं।


जानिए क्यों इसके छा जाने की संभावनाएं अधिक हैं :

 नये दौर में इलेक्ट्रिक व्हीकल ही दुनिया भर में व्हीकल्स वर्ल्ड में सबसे बड़ा बाजार बनने की ओर अग्रसर है। अगर कम्पटीशन हो और टाटा पीछे रह जाये ऐसा सम्भव ही नहीं है, टाटा दुनिया की सबसे छोटी इलेक्ट्रिक कार ला रही है, जो कि कार बाजार में एक नई हलचल पैदा कर सकता है। गौरतलब है कि ये कार इलेक्ट्रिक होगी इसलिए इसे पेट्रोल-डीजल वाली पुरानी नैनो से छोटी ही रखी जायेगी। टाटा काे भरोसा है कि इलेक्ट्रिक नैनो दुनिया भर में छा जाएगी। ना केवल सस्ती होने की वजह से बल्कि छोटी और कम मेंटेनेंस की वजह से भी लोग इसे पसंद करेंगे।
आज कल की ट्रैफिक को देखते हुए ये छोटी कार काफ़ी किफ़ायती होगी ऐसा सम्भव है कि लोग इन कार की ओर आकर्षित भी होंगे।

चीनी की वुलिंग हांगगुआंग कंपनी के साथ हुआ करार

इस कम्पनी को छोटी चीज बनाने में महारत हासिल है। चीन की  एक कंपनी वुलिंग हांगगुआंग के साथ टाटा ने करार किया है। वुलिंग नैनो 2021 में लांच की जा चुकी है। इसमें दो ही लोग बैठ सकते हैं। चार मीटर की परिधि वाली इस कार यही  ख़ासियत इसे दुनिया की सबसे छोटी कार बनाती है।


चार्जिंग सुविधा और बैट्री व्यवस्था के बारे में जानिए 


स्पेस एडजस्ट्ट्ट और वेेेट बैैैलेेस की वजह से इसकी बैैैटरी सीट के नीचे रखी जायेगी। मोटर की अधिकतम टॉर्क क्षमता 85 एनएम है। इसकी अधिकतम गति 100 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी। इसमें बैटरी से 28 किलोवाट प्रति घंटा ऊर्जा की खपत होगी।सबसे बड़ी और आसान बात ये होनेे वाली है कि इसे 220 वोल्ट की घरेलू बिजली से 4.5 घंटे में पूरी तरह चार्ज किया जा सकेगा। टाटा कंपनी का दावा है कि एक बार चार्ज होने के बाद यह 305 किलोमीटर तक जाएगी, जो कि अभी के सभी समय के हिसाब से बहुुुत किफ़ायती होनेे वाला है।


अब ख़रीददारों पर इसका जादू बोलता है कि नहीं ये तो इसके आने के बाद ही पता चल सकेगा। पिछली NANO तो बुरी तरह से अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरी थी, पर इसमें संभावनाएं ज़्यादा दिखाई दे रही हैं।

नज़्म - “ तुम अछूत हो ,,

तुम नीच जाति के हो
तुम्हें पता तो होगा ही
क्या काम है तुम्हारा
क्या नाम है तुम्हारा
क्यों ग़ैर जाति के लोग
महज़ गाली समझते हैं

तुम्हारे हिस्से है गाली
तुम्हारी क़िस्मत है ठोकर
महज़ तुम्हारे छूने से
ये मन्दिर ये किताबें
ये कुएं, तालाब सब
यहाँ तलक कि मिट्टी भी
हो जाती है अछूत
तुम समझते क्यों नहीं
तुम अछूत हो, अछूत!

तुम्हें खेत जोतने है
घरों की नींव खोदनी है
नाले साफ करने हैं
सीवरों में उतरना है
यही सब करते हुए पागल
तुम्हें इक रोज़ मरना है
न ईश्वर तुम्हारा है
न ये लोग तुम्हारे हैं

ग़र तुम्हें अपना समझते तो
तुमसे प्यार भी करते
तुम्हारा मान भी रखते
अरे पगलों ज़रा जागो
झूठी नींदों को तोड़ो
अपने चारों तरफ़ देखो
इक इंसान बनने को
तुम कितने तंज़ सहते हो

घोड़ियाँ छीनी जाती हैं
मूँछे कटवाई जाती हैं
बेटियाँ नोंची जाती हैं
बोटियाँ फेंकी जाती हैं
करोगे क्या भला तुम भी
ये आदत हो चुकी अपनी
उन महलों की फ़सीलों पर
माथा टेकने से ग़र
तुम्हें फुर्सत मिले तो फिर
ज़रा सोचो इन सब के सबब
क्यों हड्डियाँ तोड़ी जाती हैं
क्यों तुम्हारी जानें जाती है

  
   ~ अश्विनी यादव



सोमवार, 11 अक्टूबर 2021

कविता ~ धरने पर हैं राम हमारे

कैसा कलयुग आ गया भैया
अब अंधियारा छा गया भैया


पहली बार हुआ है ऐसे
कलयुग ही छाया हो जैसे

दुर्दिन क्यों आए हैं दुआरे

हैं धरने पर क्यों राम हमारे
सब पूछो ये हक़ है हमारा
राम नहीं तो कौन सहारा
जिनके ख़ातिर वोट दिए थे
जिनके नाम पर नोट दिए थे
वो ही अब अँधियारे में हैं
देखो किसके सहारे में हैं
यूँ मज़बूर करे क्यूँ प्यारे
हैं धरने पर क्यूँ राम हमारे

   ~ अश्विनी यादव

गुरुवार, 7 अक्टूबर 2021

नज़्म ~ तुम्हें ये हक़ दिया किसने


तुम्हें ये हक़ दिया किसने
किसी को मार देने का
घरौंदे तोड़ देने का
तुम्हें ये हक़ दिया किसने

बनाकर लाश उनको
कर रहे ज़ुल्म-ओ-सितम
निशाँ कोई नहीं बाक़ी
है उनकी बेगुनाही का
उन्हें बर्बाद करने का
तुम्हें ये हक़ दिया किसने

किसी की लाश पर चढ़कर
पैरों से कुचलने का
किसी हैवान के जैसे
शज़र वीरान करने का
तुम्हें ये हक़ दिया किसने


  ~ अश्विनी यादव

ज़िन्दगी को बढ़ते रहने का नज़रिया दीजिये


"हमेशा टूटने का मतलब ख़त्म होना नहीं होता 

कभी-कभी टूटने से जिंदगी की शुरुआत होती है,,


इन दोनों पंक्तियों को मैंने ट्विटर पर पढ़ा साथ ही ये तस्वीर भी संलग्न थी, पहले तो बस पढ़ा देखा पोस्ट अच्छी लगी....चूँकि जान पहचान वाले मित्र की थी इसलिए रीट्वीट करके बढ़ चला... लेकिन ये बात एक दिन के बाद तक याद रही मुझे और अब इसका एक छोटा सा निष्कर्ष मिला है मुझे।


"टूटिये लेकिन फिर से बनना और उठ खड़े होना...फिर से बिखर सकने के क़ाबिल हो जाने की हिम्मत ले आना, ये आप पर निर्भर करता है। एक ही तो ज़िन्दगी है और इसमें भी थोड़ा बहुत परेशानियाँ न आईं तो फिर आप लज़्ज़त-ए-ग़म से चूक जाएँगें। 


मुझे मेरा एक शे'र याद आ गया....


रंज-ओ-ग़म सारे भुला रहा हूँ,

मैं दुबारा ख़ुद को बना रहा हूँ,


हाँ ये सच है कि सब भुला कर आगे बढ़ने की तमन्ना आपके ख़ुद के ऊपर निर्भर करती है। यदि आप चाहते हैं कि भुलाकर आगे बढ़ा जाए नई जिंदगी की शुरुआत की जाए तो यक़ीन मानिए ये दुनिया ये प्रकृति इतना बड़ा दिल रखती है कि आपको फिर से एक मौका दे देगी। बिखरने में भी ज़िन्दगी खोजिए यारों...


        ~ अश्विनी यादव 


बुधवार, 6 अक्टूबर 2021

आज कल मैं

       आज कल मैं बस लोगों को देखता हूँ फिर उनको सोचता हूँ कि वो कितना बदले, कैसे बदले और कहाँ से बदले फिर इन सबको मिलाकर ये जानने की नाकाम कोशिश करता हूँ कि आख़िर वो क्यों बदले..?

आज कल मैं बस अपने मोबाइल में व्हाट्सएप ओपन करता हूँ तो स्टेटस पर जाकर दुनिया को दुनियादारी देखता हूँ और कभी कभी तो हँसता भी हूँ। सच कहूँ तो मुझे नुसरत साहब की एक कव्वाली में से एक शे'र याद आता है कि

"मेरे हाथों से तराशे हुए पत्थर के सनम,
  मेरे ही सामने भगवान बने बैठे हैं,,

फिर सोचता हूँ कि किसी भी आदमी को ज़रा सा ख़ुदा ने नवाज़ क्या दिया, वो ज़ाहिल अपनी ही औकात भूल बैठा है। अपने अपनों को भूल गया जो उसके बुरे दिनों में उसकी सबसे ज़ियादह मदद किये थे। लेकिन मैं भी तो ग़लत ही कह रहा है कि "अपने अपनों" अरे जब कोई अपना समझता होता तो दूर जाता है क्यों भला? सच कहूँ तो वो सब मतलब थे या फिर थोड़ी सी शोहरत देख ज़ाहिल हो गए। पर मैंने सीखा है कि चीज़ों को आसान बनाइये, उलझाइये नहीं...

वो लोग ये न समझ पायेंगें कि उन्होंने क्या खो दिया है आज, चूँकि सच कहूँ मैं तो आज भी जिस बात पर जिस ओहदे का गुमां करते हैं वो.... मैंने उनसे दोस्ती से पहले ही उससे बड़ी बड़ी चीज़ों को ठोकर मारकर आगे बढ़ जाता रहा हूँ लगभग हर एक महीने में। पर क्या है कि दुनिया उगते सूरज को सलाम करती है, सो मैं भले ही अँधेरों का इकलौता चराग़ रहा हूँ पर क्या है कि जुगनू अक्सर ही लोगों का ध्यान खींच लेते हैं और उसी जुगनू के पीछे चलते चलते उस चराग़ को कहीं पर भूल जाते हैं फिर क्या...... फिर वही होना है जो होता है आया है कि भटकने वाला जाकर किसी खाईं में गिर जाता है तब उस दीपक/चराग़ की याद आती है,,,,, लेकिन दुःखद कि वो चराग़ अब किसी और को रास्ता दिखा रहा है किसी और के हिस्से में उसकी रौशनी आ रही है।

ज़ाहिल लोग ज़हनी तौर पर तीरगी से लबरेज़ रहते हैं, इनको जब तलक ठोकर नहीं लगती है तब तलक ये अपनी बीनाई की क़ीमत समझ नहीं पाते हैं।

ऐसे लोग बस मिलते जाएँगें, इन पर थोड़ा सा ध्यान दीजिए और सबक लीजिये कि इनसे कितना दूरी रखी जाए कि बस काम भी हो जाये नाम भी हो जाये और रिश्ता  भी महज़ कहने भर को ज़िन्दा भी रह सके। हमारा काम है चलते जाना सो चलते ही चलेंगें। ज़िन्दगी में रुक जाना ही सबसे बड़ी मूर्खता है शायद..... इसलिए कहा जाता है कि ज़िन्दगी हर इक रोज़ नया सबक देती है।

आज कल मैं हर रोज़ नया सबक सीख रहा हूँ यानी ज़िन्दगी जीने का लुत्फ़ ले रहा हूँ।

    
         ~ अश्विनी यादव