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सोमवार, 20 नवंबर 2017

आज बाज़ार गये थे

चटपटे चाट वाले के
तवे  की  खनखन,
बगल गुब्बारे वाले के
घुनघुनों की छनछन,
चूड़ी वाली चाची के
शीशों की चमक,
यादव जी के  घी के
लड्डूवों की महक,
सब खरीद लायें हैं
हम बाज़ार गये थे।।

सीटियों की सी-सी
गाड़ियों का शोर,
बन्दर की  खीं-खीं
नाचता इक मोर,
डमरू की डम-डम
लकड़ी का सांप,
चलते रहे थम-थम
भठ्ठियों की भाप,
सब बटोर लाये हैं,
आज बाज़ार गये थे।।

चमकता हुआ ताज
एक परी की छड़ी,
उड़ने वाला जहाज
एक छोटी सी घड़ी,
पूरा झोला भर खुशी
होंठों की मुस्कान,
तैरते हवा पर हंसी
झूले  की  उड़ान,
सब घर लायें हैं,
आज बाज़ार गये थे।।

     प्यारी भतीजी भूमि के लिए ये दूसरी कविता ''आज बाज़ार गए थे''......
     
       ― अश्विनी यादव

बुधवार, 8 नवंबर 2017

जन्मदिवस

जब भी मेरा  ख़्याल ही कर लेते हो,
मेरे अपनो, मुझसे प्यार कर लेते हो,
....... आप सभी द्वारा इतना प्यार सम्मान और अपनत्व मिला की मेरे दिल में खुशियां हिलोर ले रही है। यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे इतना प्यारा परिवार इतने प्यारे दोस्त इतने प्रभावशाली व्यक्तित्व वाले लोगों से ईश्वर ने मुझे रूबरू करवाया।
हर बार मैं मंदिर जा कर और बड़ों का आशीर्वाद लेकर ही अपना जन्मोत्सव मनाता था लेकिन इस बार इन सबके हमने केक भी काटा और ट्रीट भी दी।
           मेरे सभी भाइयों-बहनों, मित्रों, परिवारजनों एवं शुभचिंतकों का हृदय से आभार। मेरी ईश्वर से ये कामना है कि आप सभी का साथ एवं प्रेम मुझे ताउम्र मिलता रहे।
       आपका अपना :- अश्विनी यादव

रविवार, 5 नवंबर 2017

शख्सियत (आंनद सागर पाण्डेय 'अनन्य देवरिया')

नमस्कार,
     हर बार की तरह फिर मैं हाजिर हूं एक नई शख्सियत, जो कि मेरे अपनों में से एक हैं, के साथ में।
बेहद शालीन और सुलझे हुए पेशे से इंजीनियर तथा अद्भुत कलमकार........ हजारों लाखों दिलों पर अपनी गजल और शायरी से राज करने वाले एक बेहतरीन लेखक, कवि, इंजीनियर, भाई, दोस्त और इन सभी के साथ एक अद्वितीय व्यक्तित्व के धनी.....
श्री आनंद सागर पांडेय 'अनन्य देवरिया' जी
[संस्थापक, राष्ट्रीय साहित्य चेतना मंच]
[उपाध्यक्ष, अखिल भारतीय साहित्य उत्थान परिषद]
       से रूबरू करवाता हूँ।
आपकीपढ़ाई की सारिणी जरा सा लम्बी है, फिर भी इतना काफी है बताने के लिए की अभी सीनियर प्रोजेक्ट इंजीनियर के तौर पर एक बड़ी कम्पनी मे कार्यरत है। साथ साथ अपने ओजस्वी कलम की ताकत से साहित्य की सेवा में रमे रहते है।
      
बहुत कम उम्र में ही भैया अनन्य जी कई किताबें पब्लिस हो चुकी है। 2011 में एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर के साहित्यिक मंच की स्थापना के साथ साथ आज एक अन्य साहित्यिक परिषद में बतौर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी के साथ साहित्य के प्रति प्रेम के दायित्व का निर्वाह कर रहे हैं। इन सबके अतिरिक्त वीडियो म्यूजिक एलबम के प्रोजेक्ट और नए poets के लिए Mic. Session वाले स्टूडियो पर भी काम कर रहें हैं......जो कि जल्द ही सामने होगा आप सभी के।
           अब आते है हम अपने और अनन्य भैया से मुलाकात और रिश्ते पर... तो....
मैं अक्सर पढ़ता रहता था इन्हें, क्योंकि मुझे इतनी ओजस्वी कवितायें और दिल को छू जाने वाली गजलें और कहीं मिलती भी नही थीं किसी अन्य के वाल पर, सो मैं आपका बहुत बड़ा प्रशंसक बन चुका था....फिर कमेंट और कभी कभी हाल चाल होता रहता था..
बारिश का मौसम था, मैंने मोबाईल नम्बर लिया भैया से और बात जब कर रहा था तभी अचानक बारिश शुरू हो गयी और मेरा फोन भीग गया..... खैर बात हुई ।
फिर हर जरूरत पर अक्सर सलाह के लिए, हाल खबर के लिए बात होती रहती है, हाँ एक चीज है कि मेरे राजनीतिक पोस्ट से कभी कभी आहत भी हो जाते है,,,,,लेकिन उन्हें पता है कि यदि मैंने कोई बात कही है तो उसके पीछे कोई न कोई कारण अवश्य है...बाकी जब भी कोई नई बात होती है हमसे जरूर शेयर करते ही रहते हैं। अभी हाल में ही मुझे उस सम्मानित साहित्यिक मंच का प्रदेश महासचिव नामित किया है जिसके आप संस्थापक हैं, मुझे सच में कभी नही पता था कि एक दिन इस सम्मानित ओहदे का हकदार भी मैं होऊंगा। इसके लिए मैं पुनः आपका और राष्ट्रीय अध्यक्ष  जी आभार प्रकट करता हूँ।
.......लेकिन जब भी मैं पूछता हूँ कि अब "आगे की क्या प्लानिंग हैं...??? तो पहले आप हंसते है फिर....
फ़िलहाल तो अभी इन्ही सब पर काम कर रहा हूँ जिसपे फोकस है, हाँ यदि इसके साथ मे कोई बढ़िया प्रोजेक्ट समझ आता है या दिखाई पड़ता है तो उसे हम जरूर आगे बढाएंगें.......।।
    मैं अश्विनी यादव, आपके ज्वलंत मुद्दों पर सच की आग लिखने वाली कलम और आपके उज्ज्वलम भविष्य की कामना करते हुए.....इस बात का धन्यवाद करता हूँ कि मुझे एक बड़े भाई, परम् मित्र, बेहतरीन कवि मार्गदर्शक और अद्वितीय व्यक्तित्व के रूप में आप का साथ मिला।

         ― अश्विनी यादव