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मंगलवार, 22 जून 2021

ग़ज़ल

उसने गंगा से धुलवाया था गोकुल,
कुछ यूँ उसने शुद्ध कराया था गोकुल,

कोई उसको समझाओ कि माधव ने
आँख बनाकर ख़ुद पे सजाया था गोकुल

गोकुलधाम भले ही छूटा हो लेकिन
कान्हा जी ने कब बिसराया था गोकुल

प्रियतम सह जाते हैं सारे रंज-ओ-ग़म
सबसे सच्ची प्रीत निभाया था गोकुल

प्रेम बिना है दुनिया सूनी सच मानो
चाहत में घर बार लुटाया था गोकुल

     
     ~ अश्विनी यादव

गुरुवार, 17 जून 2021

नज़्म ~ इंतज़ार में हैं

वो दिन भी जल्दी आएगा
हम इंतज़ार में हैं
इंतज़ार में हैं

हाँ उस दिन भी हम बोलेंगें
हम लड़कर सज़ा दिलवाएंगें
हिसाब हमारा बाक़ी है
हम बेकरार से हैं
इंतज़ार में हैं

आवाज उठेगी हक़ की जब
हर ज़िन्दा बुत से पूछेंगें
क्यों होने दिया ये ज़ुल्मों सितम
हम गुस्से के इज़हार में हैं
हम इंतज़ार में हैं

हर इक तमाशा ये जो है
किसने तराशा है इसको
हर उसका नक़ाब उतरेगा
ज़ब्त-ए-नफ़रत-ओ-दीवार में हैं
हम इंतज़ार में हैं

~ अश्विनी यादव