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शुक्रवार, 29 मई 2020

शख़्सियत ( आदित्य आदि )

तस्वीर देखकर शायद न जान पाओगे कि ये पोस्ट क्यों हैं और शख़्सियत के नए अंक में ये कौन हैं...

एक लड़का जिस पर शुरुआत में बहुत सारे साथ के लोग ही हँसते थे कि क्या उलूल जुलूल कर रहे हो यार, लेकिन आज उसी लड़के से ही वो लोग मार्गदर्शन चाहते हैं कि भाई बता कैसे आगे बढ़ा जाए... पोस्ट पूरी पढ़ियेगा आप, विश्वास रखिये निराश नहीं होंगे आप।

     नाम है आदित्य आदि इन्हें नाम से कम जानते हैं लोग बल्कि इनके काम से लगभग भारत की वो हिंदी भाषी जनता जो इंटरनेट का इस्तेमाल करती है वो लगभग पूरी जनता रू-ब-रू हो चुकी है।

      आपने नाम सुना होगा "डायरी की शायरी" पेज जो करीब 1 करोड़ 13 लाख यानी 11 मिलियन से ज़ियादः लोग सीधे जुड़ा हुआ है। "शायरी संग्रह'' फेसबुक पेज जो कि 2 मिलियन से ज़ियादः लोगों से सीधे जुड़ा हुआ है। इनके id से 1 लाख 20 हजार के करीब लोग सीधे जुड़े हुए हैं.... ये तो सीधे जुड़ने की बात हुई लेकिन बड़े से बड़े और छोटे से छोटे लोग कोई भी हो लगभग सबने इनके पेज पर पोस्ट की हुई फोटोज को कहीं न कहीं शेयर जरूर की ही होगी, ख़ासकर व्हाट्सएप स्टेटस में।

         ये तो हुआ हासिल, लेकिन अब जानते हैं आदित्य भाई के बारे में.....

घर बरेली है, रहते नोयडा में हैं क्योंकि ऑफिस वही पर है, ऑफिस की बात आई तो प्रोफेशन भी जानना चाहेंगें आप लोग... केमेस्ट्री से पोस्ट ग्रेजुएट होने के बाद इन्होंने भी वही किया जो कि पढ़ने में ठीक ठाक लगभग हर एक लड़का करता है...बाक़ी के मेरे जैसे इंजीनियरिंग कर लेते हैं...हाहाहाहा । मज़ाक़ से हटकर अब जब मैंने पूछा कि फिर तैयारी करना बन्द क्यों किया आपने..? तो आदित्य भाई का बेहद शालीन जवाब आया कि भाई मुझे लगा कि मेरी मेहनत अब एक सही मुक़ाम तक आ गयी है तो पीछे हटना भी थी नही यानी पेज के क़रीब 70k ( सत्तर हज़ार ) लोग गए थे कुछ इनकम भी शुरू हो गयी थी.... इन सभी पेजेस पर काम का बोझ इतना बढ़ गया था कि पढ़ाई कमज़ोर हो रही थी सो मैंने बहुत हिम्मत करके फैसला किया 'अब मैं अपनी मनपसंद नई राह' पर चलूँगा..… ऐसा कहते हुए उन्होंने अपना पूरा फोकस अपने इसी हुनर को कैरियर बना डाला।

अभी कुछ दिनों पहले ही जब एक करोड़ का आँकड़ा पार किया तो भावुक होकर उन सभी संघर्ष वाले दिनों को याद किया आदित्य भाई ने। भाई का कहना है कि एक वो दौर था कि दोस्त हँसते थे और चिढ़ाते थे, नेट रीचार्ज के पैसे न होने पर जो पैसे पॉकेट मनी मिलता था खाने के लिए उसमें कटौती करके रीचार्ज करवाते थे और पोस्ट करते थे शुरुआत में.... लोग इग्नोर मारकर आगे बढ़ जाते थे लेकिन आज वो लोग अपने अपने अलग अलग कामों के लिए सम्पर्क करने की कोशिश करते रहते हैं।

     बेहद शालीन, सौम्य व्यक्तित्व के मालिक आदि भाई से समाज के बारे में बात हुई तो उनका नज़रिया उन्हीं की भाषा में "भाई समाज बदल गया है लोग अजीब सा व्यवहार कर रहे हैं लेकिन ये सब ऑनलाइन यानी सोशल साइट्स पर ही है ज़ियादःतर जबकि ऑफलाइन यानी समाज के बीच मुहब्बत ज़िन्दा है। मैं ख़ुद भी जाति, धर्म आदि से ख़ुद को ऊपर देखता हूँ और अपने दिनचर्या में रोज़ मुहब्बत ही फैलाता हूँ,,
      मुझे अच्छा लगा आदित्य भाई की ये मुहब्बती बातें सुनकर।
 
         एक बात जो मुझे पता है कि इनके यानी आदित्य भाई के पेज पर जो भी शाइरी होती है वो व्याकरण के मानक पर खरी नही है, बह्र वग़ैरह नही है वहाँ लेकिन भावनाओं के अनुसार कोट्स, और तुकबन्दी की गई है.... इसलिए मेरे सभी जानने वालों शायरों से अनुरोध है कि कृपया जज़ बनकर फैसला न देने लगियेगा, मेहनत को देखिए सराहिये और दुआएँ दीजिये।

       मैंने बहुतों को देखा है यहाँ तक कि मैं ख़ुद एक पेज चलाता हूँ @vismrita नाम से लेकिन उसको 15k से ऊपर ले जाने में मेरी हालत ख़राब हो गयी है इस हिसाब से सोचिए कि भाई ने अथाह मेहनत की होगी इस लेवल तक जाने के लिये।

यहाँ तक पहुँचने के बाद इतने शालीन और साधारण रहने वाले आदित्य भाई को भविष्य के लिए शुभकामनाएं। उम्मीद है आप मुहब्बत ज़िन्दा रखेंगें और आगे बढ़ते रहेंगें।

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   अश्विनी यादव

रविवार, 10 मई 2020

सफ़र विस्मृता का (भाग 1)

"दरिया ने भी तरसाया है प्यासों को
दरिया को भी प्यासा कर के देखा जाए,,

ये शे'र पढ़िए अब नाम याद कर लीजिए ऐसी शाइरी केवल Bharat Bhushan Pant दादा की हो सकती है। ये नाम ही शाइरी है।

हाँ तो ये शे'र पढ़कर याद आया मुझे जब मैं दादा से मिलने गया था पहली बार तो मैं "विस्मृता" की नींव रख रहा था। दादा ने बहुत से नाम बताए जिनसे मुझे सीखने को मिल सकता है.... मैं एक एक करके सबसे जुड़ गया। फिर कुछ लोगों से अच्छे से कनेक्ट हो गया "भैया" ही थे सब के सब। साइट आई जो कि मैगज़ीन थी... पहली मैगजीन को सेलेक्ट करने के लिए एक व्हाट्सऐप ग्रुप बनाया था और लोगों द्वारा भेजने के लिए एक नम्बर जारी  किया था। हाँ तो किसी तरह सबकी रचनाएँ चूज़ करके डाल दी पब्लिश हो गयी। मेम्बर्स की भी ग़ज़लें थीं उसमें। चार दिन बाद अगले एडिशन के लिए सब ठंडे पड़ गए केवल मुझे छोड़कर....... अब लोग ग्रुप में रिप्लाई नही करते थे मैं मूर्ख की तरह भैया -भैया करके लगा रहता था।  मेरी हमेशा से आदत रही है कि जिसे सम्मान दो प्यार दो सर -आँखों पर रखो नही तो औरों की तरह ही रखो, इसी का सबने नाजायज़ फ़ायदा उठाया था। जिसने जब जिस भी चीज़ के लिए कहा था मैंने हमेशा मदद की थी लेकिन उन्होंने मेरी कद्र नही की।और कुछ दिन बाद मैं परेशान होकर साइट को रोक दिया। फिर मैं और मेरे दो छोटे भाई Gyanendra Yadav , Abhishek Ramsey Singh ने अपने आप को और कड़े संघर्ष के लिए तैयार किया।
क्योंकि जब लोग साथ छोड़ देते हैं तो आप और भी मजबूत बनते हैं ऐसा सुना था लेकिन हमने सच मे ऐसा किया है। हमने उसे नए तरीक़े से लाने की कोशिश की जिस सफर में एक बड़े भी मिले जिनका मार्गदर्शन बहुत अच्छा रहा और प्यार भी काफी मिला... मैंने शाइरी में भी काफी ठीक ठाक कर लिया है ख़ुद को। लेकिन उनके बिजी रहने के कारण मैं साइट को उनके भरोसे ऐसे तरह का नही बना सकता था कि उन्हीं पर सब डिपेंड रहे क्योंकि ये मेरा ड्रीम प्रोजेक्ट है और इसको कभी मैं डूबता देखूँ ये बहुत दुःख की बात होगी मेरे लिए।  और फिर हमने बहुत मेहनत के बाद एक प्रारूप को चुना जिसमें मन की सारी बात तो नही पूरी हो पाई है लेकिन काफी हद तक चीज़ें डाल दिया हूँ।

         अरे हाँ तो इसी सफ़र में मेरे बड़े भाई Mayank Yadav जी का पूरा सपोर्ट रहा है शुरुअ से ही। एक और प्यारे भाई B Krishna ने हमें जॉइन करके हमारे जोश को आकाश पर चढ़ा दिया। इसी बीच में Pushp Raj Yadav भाई ने भी हमारे मुहब्बती परिवार को जॉइन करके हमारा मान बढ़ाया।

मुझे कोई दुःख नही है कि बड़े शायरों ने, लेखकों ने ज़रा भी मेरा सपोर्ट नही किया । वो मुझसे अपना नाम जुड़ने से बचाते हैं ख़ुद को, लेकिन मुझे फ़र्क़ नही पड़ता है क्योंकि अब तो....

"आया है वो मक़ाम भी उल्फत की राह में,
कहना पड़ा है कि अब तुझे नही चाहता हूँ मैं,,

       अब लगभग हम लोग आख़िरी पड़ाव पर आ गए हैं साइट को लॉन्च करने के। ये एक ट्रेलर मात्र है बाक़ी के कारनामे तो दूसरे वर्जन में अपडेट करने बाद दिखेंगें।

"क़रीब आती हर एक शय ने मिरा नज़रिया बदल दिया है
मैं जिस के पीछे पड़ा हुआ था उसी से पीछा छुड़ा रहा हूँ,

वो रब्त-ए-बाहम नहीं है लेकिन अभी भी रिश्ता बना हुआ है
वो मुझ से दूरी बढ़ा रहा है मैं उस से क़ुर्बत घटा रहा हूँ,,

जिन्होंने हमें छोड़ दिया उनका तो सबसे पहले शुक्रिया🙏, जो साथ हैं उन सभी को मुहब्बतें❤️ और जो जुड़ेंगें उनका स्वागत 💐है।
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सारे के सारे शे'र भारत दादा जी के ही हैं। वो तो अब नही रहे लेकिन उनका आशीर्वाद साथ है। मैंने उनसे जो वादा किया था वो पूरा करूँगा ज़रूर।
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  अश्विनी यादव