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रविवार, 10 मई 2020

सफ़र विस्मृता का (भाग 1)

"दरिया ने भी तरसाया है प्यासों को
दरिया को भी प्यासा कर के देखा जाए,,

ये शे'र पढ़िए अब नाम याद कर लीजिए ऐसी शाइरी केवल Bharat Bhushan Pant दादा की हो सकती है। ये नाम ही शाइरी है।

हाँ तो ये शे'र पढ़कर याद आया मुझे जब मैं दादा से मिलने गया था पहली बार तो मैं "विस्मृता" की नींव रख रहा था। दादा ने बहुत से नाम बताए जिनसे मुझे सीखने को मिल सकता है.... मैं एक एक करके सबसे जुड़ गया। फिर कुछ लोगों से अच्छे से कनेक्ट हो गया "भैया" ही थे सब के सब। साइट आई जो कि मैगज़ीन थी... पहली मैगजीन को सेलेक्ट करने के लिए एक व्हाट्सऐप ग्रुप बनाया था और लोगों द्वारा भेजने के लिए एक नम्बर जारी  किया था। हाँ तो किसी तरह सबकी रचनाएँ चूज़ करके डाल दी पब्लिश हो गयी। मेम्बर्स की भी ग़ज़लें थीं उसमें। चार दिन बाद अगले एडिशन के लिए सब ठंडे पड़ गए केवल मुझे छोड़कर....... अब लोग ग्रुप में रिप्लाई नही करते थे मैं मूर्ख की तरह भैया -भैया करके लगा रहता था।  मेरी हमेशा से आदत रही है कि जिसे सम्मान दो प्यार दो सर -आँखों पर रखो नही तो औरों की तरह ही रखो, इसी का सबने नाजायज़ फ़ायदा उठाया था। जिसने जब जिस भी चीज़ के लिए कहा था मैंने हमेशा मदद की थी लेकिन उन्होंने मेरी कद्र नही की।और कुछ दिन बाद मैं परेशान होकर साइट को रोक दिया। फिर मैं और मेरे दो छोटे भाई Gyanendra Yadav , Abhishek Ramsey Singh ने अपने आप को और कड़े संघर्ष के लिए तैयार किया।
क्योंकि जब लोग साथ छोड़ देते हैं तो आप और भी मजबूत बनते हैं ऐसा सुना था लेकिन हमने सच मे ऐसा किया है। हमने उसे नए तरीक़े से लाने की कोशिश की जिस सफर में एक बड़े भी मिले जिनका मार्गदर्शन बहुत अच्छा रहा और प्यार भी काफी मिला... मैंने शाइरी में भी काफी ठीक ठाक कर लिया है ख़ुद को। लेकिन उनके बिजी रहने के कारण मैं साइट को उनके भरोसे ऐसे तरह का नही बना सकता था कि उन्हीं पर सब डिपेंड रहे क्योंकि ये मेरा ड्रीम प्रोजेक्ट है और इसको कभी मैं डूबता देखूँ ये बहुत दुःख की बात होगी मेरे लिए।  और फिर हमने बहुत मेहनत के बाद एक प्रारूप को चुना जिसमें मन की सारी बात तो नही पूरी हो पाई है लेकिन काफी हद तक चीज़ें डाल दिया हूँ।

         अरे हाँ तो इसी सफ़र में मेरे बड़े भाई Mayank Yadav जी का पूरा सपोर्ट रहा है शुरुअ से ही। एक और प्यारे भाई B Krishna ने हमें जॉइन करके हमारे जोश को आकाश पर चढ़ा दिया। इसी बीच में Pushp Raj Yadav भाई ने भी हमारे मुहब्बती परिवार को जॉइन करके हमारा मान बढ़ाया।

मुझे कोई दुःख नही है कि बड़े शायरों ने, लेखकों ने ज़रा भी मेरा सपोर्ट नही किया । वो मुझसे अपना नाम जुड़ने से बचाते हैं ख़ुद को, लेकिन मुझे फ़र्क़ नही पड़ता है क्योंकि अब तो....

"आया है वो मक़ाम भी उल्फत की राह में,
कहना पड़ा है कि अब तुझे नही चाहता हूँ मैं,,

       अब लगभग हम लोग आख़िरी पड़ाव पर आ गए हैं साइट को लॉन्च करने के। ये एक ट्रेलर मात्र है बाक़ी के कारनामे तो दूसरे वर्जन में अपडेट करने बाद दिखेंगें।

"क़रीब आती हर एक शय ने मिरा नज़रिया बदल दिया है
मैं जिस के पीछे पड़ा हुआ था उसी से पीछा छुड़ा रहा हूँ,

वो रब्त-ए-बाहम नहीं है लेकिन अभी भी रिश्ता बना हुआ है
वो मुझ से दूरी बढ़ा रहा है मैं उस से क़ुर्बत घटा रहा हूँ,,

जिन्होंने हमें छोड़ दिया उनका तो सबसे पहले शुक्रिया🙏, जो साथ हैं उन सभी को मुहब्बतें❤️ और जो जुड़ेंगें उनका स्वागत 💐है।
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सारे के सारे शे'र भारत दादा जी के ही हैं। वो तो अब नही रहे लेकिन उनका आशीर्वाद साथ है। मैंने उनसे जो वादा किया था वो पूरा करूँगा ज़रूर।
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  अश्विनी यादव

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