शुरू कहाँ से करूँ
मैं ये छोटी सी कहानी
वो-मैं साथ ही थे
और थोड़ी सी जवानी,
बस मैं तकता रहा
आ जाये अब आ जाये
थोड़ी सी बारिश
औ क़िस्मत जगा जाये,
आसमां में घटाएं
जरा सा ही रहम कर दें
कुछ बूंदे बरसे औ
हमें इक छाते में कर दें,
बस इत्ती सी ही
इक ही तो ख़्वाहिश है
आज वो पास है
यूँ फुंकी की नुमाइश है,
जरा बरस देगा
तेरा क्या चला जाएगा
सोच इस लम्हें में
सदियों आराम आएगा,
― अश्विनी यादव
हमें प्रयास करते रहना चाहिए ज्ञान और प्रेम बाँटने का, जिससे एक सभ्य समाज का निर्माण किया जा सके।
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रविवार, 7 जनवरी 2018
एक छाता और थोड़ी बारिश
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