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सोमवार, 11 अप्रैल 2016

एक हसीं सा ख्वाब है तू

सजाकर  माथ  पे बिन्दी
लगाकर आँख में काजल
रचाकर  हाथ  में  मेंहदी
पहनकर  पांव में  पायल
सुर्ख़  होंठों की लाली से
कभी  मुस्कान करती  हो
तुम्ही में खो सा जाता  हूँ
जब हँसकर बात करती हो
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चमकती नाक की नथुनी
खनकते ये हाँथ के कंगन
गाढ़ी  सी  चूनर  धानी
कसी  हुई कमर की कर्धन
मोती  माला  सजी गर्दन
बाली जुल्फों संग लटकती है
समां  थम  सा  जाता है
जब हमारी ओर तकती हो...
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    ―अश्विनी यादव

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