सजाकर माथ पे बिन्दी
लगाकर आँख में काजल
रचाकर हाथ में मेंहदी
पहनकर पांव में पायल
सुर्ख़ होंठों की लाली से
कभी मुस्कान करती हो
तुम्ही में खो सा जाता हूँ
जब हँसकर बात करती हो
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चमकती नाक की नथुनी
खनकते ये हाँथ के कंगन
गाढ़ी सी चूनर धानी
कसी हुई कमर की कर्धन
मोती माला सजी गर्दन
बाली जुल्फों संग लटकती है
समां थम सा जाता है
जब हमारी ओर तकती हो...
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―अश्विनी यादव
हमें प्रयास करते रहना चाहिए ज्ञान और प्रेम बाँटने का, जिससे एक सभ्य समाज का निर्माण किया जा सके।
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सोमवार, 11 अप्रैल 2016
एक हसीं सा ख्वाब है तू
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