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शुक्रवार, 20 अगस्त 2021

नज़्म – तानाशाह

सुनो ग़ौर से सब दरबारी
आओ सब कोई बारी बारी

जूते बाहर उतरे सबके
अंदर केवल मैं पहनूँगा

ऐसे बनते हैं राजा बाबू
सोना मिट्टी से तोलूँगा

सब से ऊपर मैं ही हूँ बस
सबके सीने पर चढ़ लूँगा

ग़र सोच रहे बाग़ी बनने को
जीना मुश्किल मैं कर दूँगा

 
   ~ अश्विनी यादव

शनिवार, 14 अगस्त 2021

तिरंगा और हम भारतीय लोग

"तू जहाँ भी दिखे, सलामत ही दिखे,,🇮🇳

वतन को परिवार और वतन वालों को महबूब मानकर आगे बढ़िए सब आसान दिखने लगेगा।
हाँ तो इन तस्वीरों पर आते हैं जो कि नीचे पोस्ट किया हूँ। फरवरी में घर से लाइब्रेरी जा रहा था तभी देखा कि सड़क किनारे बिजली विभाग के इलेक्ट्रिकल बॉक्स में ये फँसा था।

        शायद किसी ने उठाकर उसमें खोंस दिया था।पहले तो मैं पार्टी का झंडा समझ आगे बढ़ने वाला था लेकिन मेरा मन मेरे ऊपर हावी हो गया कि ये तिरंगा ही है जाकर देखना चाहिए।सच कहूँ तो शॉक लगने का भी डर होता है उस जगह पर फिर भी मन हावी होने पर सब आसानी हो जाती है।
गया देखा तो ये इस हाल में मिला मुझे, अब धूल मिट्टी झाड़कर इसे अपने बैग में डाल लिया मैंने, तब से लेकर अभी तक बस यूँ ही सम्हाल रखा हूँ।🇮🇳


ये कतार में झंडियों के तौर पर लगाये गए किसी फंक्शन में से था। आप सबसे निवेदन है कि तिरंगा उतना ही ख़रीदें जितने की हिफ़ाज़त आप 12 महीने कर सकें। इधर उधर न फेकें।
प्लास्टिक के तिरंगे को भी आप तभी ख़रीदें जब आप झंडा रोहण के प्रोग्राम के बाद अपने घर पर वापस लाकर रख सकें।

यदि आपको किसी जगह पर क्षतिग्रस्त अवस्था में कोई झंडा मिलता है तो इसे एकांत में ले जाकर ज़मीन में दफ़्न कर दें, कभी भी जलाना नहीं चाहिए। कभी भी अनादर मत कीजिये, ये तिरंगा ही हमारी शान है और भारतीयता हमारी पहचान है।


         Love you india, love you Azaadi🇮🇳
                         जय हिंद🙏

 
                    ~  अश्विनी यादव

सोमवार, 9 अगस्त 2021

विश्व आदिवासी दिवस

जैसा कि फ़िल्मों में आदिवासियों को दिखाया जाता है ऐसा भले ही पहले हुआ करता रहा पर अब ये 21वीं सदी है जिसमें वो आपके हमारे बीच अपने सामाजिक हक़ को प्राप्त करके बड़े बड़े पदों पर हैं, परन्तु कुछ ही लोग पहुँच पाए हैं।इन लोगों की एक बड़ी आबादी आज भी अपने वजूद को तलाश रही है इस देश में। चूँकि आरक्षण तो है और उनको स्थान भी मिल जाता है परंतु जब प्राथमिक शिक्षा ही नहीं मिल पा रही है तो उच्च शिक्षा प्राप्त किये बिना उस नौकरी में मिलने वाले आरक्षण का कोई ख़ास फ़ायदा नहीं मिल पा रहा है।

      आज भी हिन्दूवादी नेताओं के लिए आदिवासी केवल उतने ही हिन्दू हैं जितनी देर तक के लिए वो अपना वोट नहीं दे देते हैं, जैसे ही वोट पड़ा उन्हें अनुसूचित जनजाति के तहत दलित समाज में से भी निम्न समझने लगते हैं जिससे एक बड़ी खाईं पैदा हो जाती है। फ़िलहाल तो कई आदिवासी नेताओं ने अपने ताक़त को पहचाना और आदिवासियों के हक़ के लिए लड़ते हुए अपनी पहचान को दर्शाते हुए न्याय कर रहे हैं। हम सब की ग़लती है कि उन्हें अपनी बराबरी की जगह पर क्यों नहीं आने दे रहे हैं।

     आज जो भी जंगल सुरक्षित हैं उसके लिए सबसे बड़े कारण हैं आदिवासी समाज के लोग। इनके कारण ही आज भी पेड़ों की संख्या बढ़ती है। असली प्रकृति के रखवाले हैं ये लोग। इन्हें न सरकार पैसे देती है न ही कोई NGO पर फिर भी इन्हें पता है कि पेड़ ही दुनिया के लिए जीवन का अमूल्य स्रोत हैं, सो ये लोग अपनी तरफ से जंगल बचाते हैं।

    आज भी जब उनके पेड़ काटे जाते हैं उनके घर जलाए जाते हैं तो आपको सोचना चाहिए कि आप लोग जिस भी कारण से ऐसा कर रहे हैं उससे कहीं बड़े कारण हैं जिसकी वजह से वो उस जंगल की रक्षा कर रहे हैं। सरकारों को अक्सर ये लोग उतने भी ज़रूरी नहीं लगते हैं कि जितने होने चाहिए शायद इसलिए ही इनके अक्सर परेशान किया जाता है। सरकार इनके हक़ बार बार छीनती है। अगर इनके साथ ऐसी नाइंसाफी होती रही टॉर न जाने कितने साल लग जाएँगें इनको सामाजिक न्याय मिल पाने में।

     हाँ वो कम पढ़े लिखे हैं,उनके कपड़े ब्रांडेड नहीं हैं, उनके पास तीर धनुष है। पर यक़ीन मानिए आप साथ दीजिये उनके तीर जल्द ही कलम बन जाएँगें।

    इस दुनिया में सबसे अधिक जल, जंगल और जीवन की सुरक्षा करने वाले लोग यानी आदिवासी समाज को आदिवासी दिवस की बहुत सारी शुभकामनाएं।

          ~   अश्विनी यादव 

सोमवार, 2 अगस्त 2021

ओलम्पिक में भारतीय खिलाड़ी और हम लोग

 हर रोज आपको दो चार लोग ये कहते हुए पोस्ट करते मिल जाएंगे 130 करोड़ की आबादी में 13 मेडल भी  नहीं आ रहे हैं. भारत खेलों में इतना पिछड़ा हुआ क्यों है ? 

 तो भाई मेडल इसलिए नहीं आते हैं क्योंकि हम बचते है खिलाड़ियों को मूलभूत सुविधाएं देने में , उन्हे उनकी वाजिब पहचान देने में . मेडल क्या ख़ाक आयेंगे ?

 तो भाई सुनो जिस लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के पास ये जिम्मेदारी थी कि वो देश की बुलंद इमारत में सशक्त नींव का पत्थर साबित होगा वो आज कल दो कौड़ी से भी गई गुजरी हरकतें करके अपना स्तर दिन ब दिन बद से बदतर  कर रहा है . 

भारतीय महिला हॉकी  टीम ने आस्ट्रेलिया को हराया तो ये चक दे इंडिया की अभिनेत्री को फोन पर लेकर अपने दर्शकों का टाइम पास करवा रहे हैं.शर्म तो मगर इन नमूनों को आती नहीं होगी . अगर हॉकी खिलाड़ियों के घर परिवार वालों से ही बात के कि होती तो क्या बिगड़ जाता इनका ?

कुछ समय से यही हो रहा है असली नायकों को गायब करके हम पर फर्जी के  नायक थोपे जा रहे हैं। 

ऐसा हर क्षेत्र में हो रहा है . 

हर जगह ग्लैमर का तडका चाहिए.शायद इसीलिए कोई राजा विदेशी मेहमान के आने पर झोपड़पट्टियां दीवार के पीछे छिपा देता है . 

ये इस देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है कि हमने असली नायकों को हमेशा गुमनाम ही रखा है..और जबरदस्ती के नायक इस देश पर थोपे गए हैं.

         ~  गौरव सिंह यादव