हमें प्रयास करते रहना चाहिए ज्ञान और प्रेम बाँटने का, जिससे एक सभ्य समाज का निर्माण किया जा सके।
ज़ुल्म के नाख़ून पैने हो गए हैं, यार अब तो जान की बाज़ी लगी है,
चुन रहें हैं बलि दिया जाए कहाँ पर, और अब सरकार भी राजी लगी है,
हम भला आदम समझ बैठे थे जिसको, जात भी उसकी वहीं दागी लगी है, ____________________ अश्विनी यादव