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गुरुवार, 18 अप्रैल 2019

ग़लती नेहरू की (कविता )

हो गई इनको दिक़्क़त भारी नेहरू से,
ये खेल रहें हैं नईकी पारी नेहरू से,

नेहरू इनका हाथ पकड़ के बैठे हैं,
वरना लेते ज़िम्मेदारी नेहरू से,

पता करो ई नेहरू कहँवा चला गया,
अरे छीन के लाओ नींद हमारी नेहरू से,

राम कसम ई आगे-पीछे नेहरू हैं,
चलत नही बा अब होशियारी नेहरू से,

झूठ, फ़रेब औ रोना-धोना कर बइठे
फ़ेल हो गयी सब मक्कारी नेहरू से,

गंगा, गोबर, गाय, दलित सब नाटक है,
तुलना कैसे होगी तुम्हारी नेहरू से,

इसका मतलब नेहरू तुमसे क़ाबिल हैं,
यानी तुमने मान ली हारी नेहरू से,

तुम भी उनकी शासन के ही पैदा हो,
कह दो ग़लती हुई है सारी नेहरू से,
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    अश्विनी यादव