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रविवार, 21 अक्टूबर 2018

मुहब्बत हासिल नही की जाती

हासिल करने के नाम पर सिर्फ़ ज़िस्म किया जा सकता है, रूह मुहब्बत में पाई जाती है। और मुहब्बत वो है जिसमें अपने महबूब की मात्र एक झलक पाने के लिए लाख जतन करने को मजबूर कर दे। उसका दीदार आपके दिल को तर कर दे.....वो है मुहब्बत।

     लोग कहते हैं कि ये सब तकियानूसी बातें हैं हक़ीक़त में इन सब से राब्ता होना मुश्किल है...लेकिन जाने क्यूँ आज़ भी मुझे ऐसी आशिकी पसन्द है, और मेरा विश्वास है।   काफ़ी हद तक मैंने लोंगों को देखा है कि "दो ज़िस्म अपनी आग देते हुए एक दूसरे को बर्फ़ कर देते हैं,, बस कुछ दिन बाद उन चलते फिरते दिलों की जगह कोई बुत ले लेता है क्योंकि वो दोनों एक दूसरे को छोड़ आगे बढ़ जाते हैं......
   लेकिन मैं उन दिलों में से हूँ जो बुत तो बनते हैं लेकिन उस संगदिल के इंतजार में, जिस जगह पर उसने छोड़ दिया था।  ज़िस्म तो उसकी रज़ामन्दी पर इजहार-ए-इश्क मात्र होता है, वाक़ई में अपने हमकदम को महसूस करना हो तो ज़िस्म से पहले रूह तक उतरने की कोशिश होनी चाहिए...।
उसकी बोलती आँखों से दर्द, चेहरे के खिलेपन से ख़ुशी, और ख़ामुशी से उलझन को महसूस करना, ख़ुद बेपरवाह होते हुए भी उसका ख़याल रखना ही मुहब्बत है......।
वो आपकी विस्मृता होकर भी आपके साथ रहेगी, आपको याद रहेगी।

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    अश्विनी यादव

रविवार, 7 अक्टूबर 2018

फ़िराक़-ए-गम

जा रही हो....रुक जाओ न प्लीज़ प्लीज़।

वो जा रही है मेरी दुनिया से दूर बहुत दूर , सब कोशिश कर चुका हूँ उसको रोकने की,,,,,, पर लगता है शायद वो ख़ुद भी नहीं रुकना चाहती है
आज ऐसा लग रहा है मेरा सब कुछ कहीं छूट जा रहा है जिसे मैं पाना चाहता हूँ लेकिन मेरे होंठ चुपचाप बस ख़ुद में घुटे जा रहें हैं।
   मुझे ऐसा महसूस हो रहा है कि उसके जाने के बाद मेरी दुनिया में रंग के नाम पर सिर्फ शायद काला रंग और एहसास के नाम पर उदासी ही बचेगी.....।
    रोज सुबह लालिमा लिए आएगी, शाम भी हसीन होगी सबकी होगी लेकिन मेरी जिंदगी में तुम्हारी मुहब्बत न होगी तो सुबह भी काली ही होगी मेरी।
   मुझे लग रहा है किसी बड़े रेगिस्तान में हूँ जिसमे सबसे ज्यादा जरूरत पानी की, छाँव की महसूस हो रही है और पानी तुम्हारी मुहब्बत है छाँव तुम्हारा मेरे साथ होना ।
काश ! तुम मुझे समझ पाती...... और बस किसी भी बहाने से रुक जाती।

चुपचाप जा रही हो मेरी जाना,
कम से कम एक दफ़ा झगड़ लेती,
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   अश्विनी यादव

सोमवार, 1 अक्टूबर 2018

जन्मोत्सव लाल बहादुर शास्त्री जी का

लाल बहादुर शास्त्री जी के जन्मोत्सव पर नमन करते हुए हार्दिक शुभकामनाएं समस्त भारतवंशियों को।

भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री अपनी कुशल नेतृत्व क्षमता, क्रांतिकारी व्यक्तित्व और जन कल्याणी विचारों के लिए हमेशा याद किए जाते हैं। शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। वह अपने देश और देशवासियों के सम्मान और रक्षा के लिए कुछ भी करने को तैयार थे, जो कि उनके व्यक्तित्व को महान बनाता है। आपको बता दें कि इसी के चलते उन्होंने देश को मुसीबत से निकालने के लिए भोजन करना भी छोड़ दिया था और साथ ही वेतन लेने से भी मना कर दिया था।

हम बताते है कि क्यों छोड़ दिया था खाना...

1962 के युद्ध में भारत को बहुत नुकसान हुआ था। इसी का फायदा उठाने के लिए पाकिस्तान ने 1965 में युद्ध छेड़ दिया। लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नेतृत्व में भारतीय सेना ने पाक को मुंहतोड़ जवाब देकर हरा दिया। युद्ध के दौरान भारत में वित्तीय संकट गहरा गया था। ऐसे में पूर्व प्रधानमंत्री ने रामलीला मैदान से लोगों से अपील की कि, सभी अपने फालतू के खर्चे छोड़ दें और हफ्ते में एक दिन उपवास जरूर रखें। जिससे भारत को अमेरिका से गेंहू ज्यादा ना खरीदना पड़े और भारत को जल्दी वित्तीय संकट से उबर पाए। इसलिए उन्होंने खुद भी एक दिन उपवास रखना शुरू कर दिया था।

वेतन लेने से कर दिया था मना...

इस वित्तीय संकट से देश को निकालने और देशवासियों के सामने प्रेरणा बनने के लिए उन्होंने अपना वेतन लेने से भी मना कर दिया था। यहां तक कि कहा जाता है कि एक बार शास्त्री जी विदेश जा रहे थे किसी बैठक के लिए  उनकी धोती फटी हुई थी तो उन्होंने नई धोती की जगह फटी धोती को ही रफ़ू करवाकर पहने और सम्मेलन में चले गए।
आज इस पावन अवसर पे ऐसी महान व्यक्तित्व के सुकर्मों का संस्मरण करते हुए बधाई प्रेषित करतें है ।

पसीना बहाना पड़ता है खेतों में,
ऐसे ही कोई किसान नहीं होता,
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  अश्विनी यादव