यह एहसास ही कितना प्यारा है,
जब सब कहते हैं तुम मेरे हो।
उनसे पूछो कि क्यों कहते हैं,
हम तेरे हैं, तुम मेरे हो,
बेशक यह सच नहीं है फिर भी,
सब के सब तो झूठे होंगे नहीं,
कोई साजिश कर हमें बदनाम करें,
इतने याद भी रुठे होंगे नहीं,
भूले से भी कभी न नाम लिया,
ना ही गजलों में गया है,
तुम खामोश रहे न वाह किया,
ना ही आह लबों पर आया है,
बेचैन बहुत हूं क्या बोलूं,
आखिर सब को कैसे खबर हुई,
वो बुत बनकर हैं आज मिले,
जिनसे ये यह बात न सबर हुई,
― अश्विनी यादव
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