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शुक्रवार, 13 अप्रैल 2018

भीमराव अम्बेडकर जयंती

धत्त साले तू एकदम 'चमार' लग रहा है बे.....शक्ल तो एकदम 'भंगी' वाली है।
बहुत बेकार और है तू 'चमारिन' कहीं की.....
___ये शब्द जातिसूचक है और आज 21वीं सदी में भी समाज के नालायकों द्वारा इसे गाली के तौर पर इस्तेमाल करने वाले समाज में आपसी सौहार्द की बात करते हैं, समभाव की बात करते हैं.....अम्बेडकर जयंती की रेलम-पेल बधाई दिए पड़े हैं।
खैर छोड़िये सब समाजहित में सौहार्द, समभाव, सामाजिक न्याय के क्षेत्र में अद्वितीय कदम उठाने वाले श्री भीमराव अम्बेडकर जी की जयंती पर समस्त देशवासियों को हार्दिक बधाई।
        "खुद को बदलिए सिर्फ मुखौटा बदलने से कुछ नहीं बदलेगा,,

            ― अश्विनी यादव

जमीर जिंदा रखना

जा रहे हो बेशक हाथ छोड़ दे मिरा,
मैं चला जाऊँगा तन्हा ही चाँद तक,

         मेरे भाई तुमसा क़ाबिल होने के लिए उसे शायद एक सदी और लगेगी, और तुम्हारा साथ खो देना किसी बदनसीबी से कम नहीं.....कुछ लोंगों की किस्मत अच्छी होती है की "हम मिलते हैं उन्हें, और वो ख़ुद को इतना क़ाबिल समझ लेते है की भूल जाते है की हम उन्हें आसानी से हाथ बढ़ाएं हैं साथ एवं सहयोग के लिए.....हमकदम बनने के लिए लेकिन जब वो दूर से देंखेंगें तो नजर आएगा की सैकड़ों शख्स उससे आगे खड़े है कतार में हमारे वास्ते।
      अपना एटिट्यूड। वापस लाओ और जब सामने वाला अपनी औकात भूल जाये तो खुद को कठोर बना लीजिये अन्यथा दुनिया और वो शख्स आपको बेवकूफ़ और कमजोर समझेगा.......अपनी क़ाबिलियत दिखाओ और चलो "चाँद के सफ़र पर,, कारवां। होगा तुम्हारे पीछे। वादा रहा।
   खुश रहो प्यारे भाई।
          ― अश्विनी यादव