अपने सपने तोड़कर जीना
हमारे ख्वाब जोड़कर जीना
ये जीना भी एक जीना है
खुद को यूँ भुला कर जीना
ऐसा कोई और कहाँ होगा
हाँ पापा जैसे तुम हो,
हमारे लिए इतनी डिग्रियां
इतनी पढ़ाई इतनी किताबें
कभी बस्ता कभी फ़ीस
कभी जूता तो कभी जुराबें
ऐसे सब मिलता कहाँ होगा,
हाँ पापा जैसे तुम हो,
― अश्विनी यादव
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