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रविवार, 18 जून 2017

पापा तुम सा कोई नही

अपने सपने तोड़कर जीना
हमारे ख्वाब जोड़कर जीना
ये जीना भी एक जीना है
खुद को यूँ भुला कर जीना
ऐसा कोई और कहाँ होगा
हाँ पापा जैसे तुम हो,

हमारे लिए इतनी डिग्रियां
इतनी पढ़ाई इतनी किताबें
कभी बस्ता कभी फ़ीस
कभी जूता तो कभी जुराबें
ऐसे सब मिलता कहाँ होगा,
हाँ पापा जैसे तुम हो,

    ― अश्विनी यादव

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