मारो कोई बिष बाण प्रिये,
अब ले लो मेरे प्राण प्रिये,
तुम नही रही मेरी बनके,
कुसुमालय हुए कृपाण प्रिये,
की अब ले लो मेरे प्राण प्रिये।।
सुमरुं प्रेम नित नये गीत से,
दरश जो पाऊँ अपने मीत के,
बलिहारी करूं ज्यों रसिक बना,
कनक हुआ इस इश्क रीति से ।।
© अश्विनी यादव
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