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शुक्रवार, 5 जून 2020

नज़्म ( ख़ुशनसीब कलम )

तुम आगे की सीट पर बैठी
क़िताब में उलझी हुई थी
और मैं तुम्हारे बगल से
दो सीट पीछे बैठा
तुम्हारे बालों में उलझा था
जिनसे छनकर
तुम्हारे चेहरे की रौशनी
मुझ तक आ रही थी
तुम्हारे उंगलियों के बीच फँसी
वो ख़ुशनसीब कलम
जिसे लगातार अपने होठों से
छुए जा रही थी
और इधर मैं ख़ुद को
कलम सा महसूस
कर रहा था.....
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   अश्विनी यादव

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