तुझ सांवले-सलोने ने,
सबको मोह डाला,
तेरी प्यारी सी सूरत पे,
मन हुआ निराला,
यशोदा माँ छिपाती थी,
नजर न लग जाये,
माँ देवकी अभिलाषी थी,
दरश एक मिल जाये,
तूने नटखट तराजू से,
सबको जोह डाला,
तुझ सांवले-सलोने ने,
सबको मोह डाला.....||
गजब के जादूगर थे,
रोज अजब करते थे तुम,
मुँह में जगत, चरणे भगत,
चहुं ओर रजत करते थे तुम,
कभी पूतना, कभी सारस,
दुष्ट अजगर का नाश किया,
खेल-खेल में तुमने कान्हा,
कालिया फन पे नाच किया,
कनिष्ठा पे गोवर्धन ले,
गोकुल का उद्धार किया,
अहंकारी दुष्ट कंस का,
पल भर में संहार किया,
जन्म नही कर्म प्रधान है,
ऐसी तलब रखते थे तुम,
गजब के जादूगर थे,
रोज अजब करते थे तुम....||
कान्हा तुम हर युग में,
प्रेम की परिभाषा हो,
राधा के पूरक हो,
मीरा की अभिलाषा हो,
पति हुए रुक्मिणी के पर,
18 हजारों को नाम दिया,
नरक से निकाल भक्तो को,
पालनहार ने जीवनदान दिया,
नंगे पाँव, भरी आँख ले दौड़े,
सखा को गले लगा लिया,
फटे वस्त्र युक्त सुदामा को,
गद्दी पे बिठा सम्मान दिया,
नयनन नीर से पग धोकर,
निज पट-पीत से पोंछ दिया,
तुमने चावल खा दिया लोक,
ऐसे अनंत जिज्ञासा हो,
कान्हा तुम हर युग में,
प्रेम की परिभाषा हो....||
एक तरफ थे पाँच खड़े,
एक ओर सौ सेना थी,
तुम सत्य के सारथी थे,
तब अच्छाई ने सामना की,
पांडवों को ज्ञान दिए,
जब सर्वज्ञाता कृष्णा ने,
कौरवों का नाश हुआ,
राजीतिज्ञ कहा तुमको सबने,
प्रभु मेरे और ब्रम्हाण्ड के,
तुम हो पालनहार कन्हैया,
कलयुग में भी हम भक्तों का,
आओ करो उद्धार कन्हैया,
पिता, प्रेमी, सखा, गुरु,
तुम हो खेवनहार कन्हैया,
जन्म लिया था भारत भूमि पे,
फिर करो उपकार कन्हैया,
कृपा करो सम्पूर्ण विश्व पे,
प्रेम से जग तर कर दो,
यदुकुल में जन्मा मुझ अश्विनी पे,
नजर कर नाम अमर कर दो...||
जय हो जय हो नन्दलाल की
जय हो मुरलिया वाले की
©―अश्विनी यादव
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