आज़ाद की औलाद पर
तुम गोलियां चलवा रहे
हाँ मगर ये ध्यान रखना
ग़र ये पलट जायेंगें फिर तो
भागने को दौड़ने को
सर छुपाने के लिए भी
ये ज़मीं भी कम पड़ जाएगी
तुम सभी के वास्ते
डायर की कायर औलादों
थोड़ा सब्र रखो तुम सब
लगता है कि इंक़लाब का
तुमको सबक नहीं मिला होगा
हर गोली के हर छर्रे का
फूटे माथे के हर कतरे का
तुमको हर्ज़ाना देना है
हर लाठी और हर गाली का
पूरा ज़ुर्माना भरना है
हक़ लेना आता है हमको
हम सब चुकता कर लेंगें ही
तू क्या तेरा बाप डरेगा
अब कॉलर को छूने से भी
उठो ओ लड़को मालिश छोड़ों
अपने दामन को भी देखो
जी हुजूरी बन्द करो बे
लड़कर अपना हिस्सा कब लोगे..
~ अश्विनी यादव